केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्री डॉ.जितेंद्र सिंह ने बुधवार को न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बातचीत करते हुए जम्मू-कश्मीर में पहले हिंदू मुख्यमंत्री बनाए जाने पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हिंदुओं की भी है, मुसलमानों की भी है, सिख और ईसाई की भी है. मैं दावे के साथ यह जरूर कहूंगा कि भाजपा का सदस्य ही मुख्यमंत्री होगा. वो चाहे हिंदू हो या मुसलमान, वो भाजपा का ही होगा.
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के साथ भाजपा का गठबंधन तोड़े जाने पर अफसोस या गलती मानते हैं? इस पर उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक ही ऐसा उदाहरण है कि जब किसी राजनीतिक दल ने समय से पहले स्वयं को सत्ता से बाहर निकालने का फैसला किया हो. हमारी कोई मजबूरी नहीं थी, हमारे खिलाफ ना तो नो कॉन्फिडेंस मोशन था, हमारे पास बहुमत थी. हम अपनी अवधि तक सरकार चला सकते थे. लेकिन, जब हमें लगा कि कुछ एक सैद्धांतिक मुद्दों पर अब समन्वय उस प्रकार से नहीं हो रहा है जिसकी अपेक्षा हमने की थी या जिसकी अपेक्षा हमारे समर्थक कर रहे थे. तो हमने एक बड़ा साहसिक फैसला करके सरकार से बाहर आने का निर्णय किया.
इसके अलावा उन्होंने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर में भाजपा अकेले ही अपने दम पर सरकार बनाएगी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुझे लगता है कि इसकी आवश्यकता नहीं पड़ेगी. भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह से आश्वस्त है, हम जम्मू-कश्मीर में पूर्ण बहुमत प्राप्त करने में सफल होंगे.
जम्मू-कश्मीर में राम माधव की वापसी के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये फैसले संगठन में होते हैं, इस पर टिप्पणी करने के लिए अधिकृत नहीं हूं. राम माधव हमारे वरिष्ठ नेता हैं, बुद्धिमान हैं, जम्मू-कश्मीर को समझते हैं. यदि हमारे शीर्ष नेतृत्व ने कोई निर्णय लिया है तो निश्चय ही प्रदेश हित में लिया है. बता दें कि जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन वाली सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
कांग्रेस और नेशनल क्रॉन्फ्रेंस द्वारा केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के छोटे भाई देविंदर सिंह राणा को नगरोटा से टिकट देने पर भाजपा पर हमला बोला. इस पर उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि किसी को भी टिकट देने में जितेंद्र सिंह का हाथ नहीं है, ये कांग्रेस पार्टी नहीं है जहां रसोईघर पर या डाइनिंग टेबल पर मां-बेटे मिलकर फैसला लेते हैं किसको टिकट देना है या नहीं? यहां नाम चलते हैं मंडलों से उठकर जिलों तक, जिले से उठकर प्रदेश तक, प्रदेश से उठकर केंद्रीय समिति तक, केंद्रीय समिति से उठकर पॉर्लियामेंट्री बोर्ड तक और हर चरण में विस्तृत चर्चा होती है. अलग-अलग विंग से उनकी जानकारी ली जाती है. ये कह देना की किसी के कहने पर टिकट मिलता है तो शायद ये वो लोग कहते हैं जिनको नहीं पाता है कि भाजपा के काम करने का तरीका क्या है.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठबंधन को लेकर उन्होंने कहा कि हकीकत तो ये है कि इनका पहले भी गठबंधन होता रहा है, सिर्फ नाम बदलते रहे. यूपीए नाम था फिर इंडिया अलांयस हुआ. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी यह इकट्ठा लड़े थे. उस समय कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का अलायंस था, 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपीए के नाम से चुनाव लड़े. 2024 में इंडिया गठबंधन के नाम से लड़े. ये नाम बदलते है परंतु गठबंधन होना कोई नई और चौंकने वाली बात नहीं है. भाजपा के खिलाफ एक साथ होकर लड़ते रहे हैं, भाजपा का वोट शेयर जैसा पहले था अभी भी वैसा ही है. मुझे नहीं लगता कि भाजपा के लिए यह चुनौती है.
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-भारत एक्सप्रेस
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