Gyanvapi Case: ज्ञानवापी परिसर में व्यासजी के तहखाने में जिला अदालत के आदेश के बाद बुधवार देर रात पूजा-अर्चना हुई और फिर इसके बाद गुरुवार को भी सुबह-सुबह ही बड़ी संख्या में लोग पहुंच गए और तड़के मंगला आरती भी हुई. तहखाने में 30 साल बाद दीप जलने की खुशी हिंदू पक्ष के चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी. कोर्ट का आदेश आने के बाद रात में ही तहखाने से बैरिकेडिंग हटा दी गई थीं. तो वहीं तड़के से ही पूजा के लिए लोग जुटने भी लगे और इसके बाद कड़े प्रशासनिक सुरक्षा घेरे में पूजा की शुरुआत हुई. व्यासजी के तहखाने में पूजा करने की एक्सक्लूसिव तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं.
बता दें कि वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में 31 साल बाद पूजा-अर्चना शुरू हो रही है. गुरुवार (1 फरवरी) सुबह लोग पूजा करने के लिए तहखाने में पहुंचे. इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस मौजूद रही. मालूम हो कि वाराणसी की जिला अदालत ने बुधवार यानी 31 जनवरी को हिंदू पक्ष को बड़ी राहत देते हुए ज्ञानवापी परिसर में मौजूद तहखाने में हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने का आदेश दे दिया था. इसी के बाद बुधवार की शाम को ही बड़ी संख्या में हिंदू पक्ष के लोग पूजा के लिए उमड़ पड़े थे.
बता दें कि अदालत ने वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को हिंदू पक्ष और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा नामित एक पुजारी के जरिए की जाने वाली पूजा की व्यवस्था करने का निर्देश दिया था. तो वहीं वाराणसी जिला अदालत ने 17 जनवरी को जिला मजिस्ट्रेट को रिसीवर नियुक्त कर दिया था और साथ ही उन्हें तहखाने को सुरक्षित रखने और इसमें कोई बदलाव न करने का निर्देश दिया था. उसके बाद 24 जनवरी को अपर जिलाधिकारी प्रकाश चंद्र के नेतृत्व में जिला प्रशासन की टीम ने जिलाधिकारी को तहखाने का रिसीवर बनाकर उसे अपनी कस्टडी में लेने के संबंध में कार्यवाही पूरी की. तो वहीं इस पूरे मामले पर वाराणसी के डीएम एस राजलिंगम ने वजूखाने के समक्ष विराजमान नंदी महाराज के सामने लगी बैरीकेडिंग को हटाकर रास्ता खोलने को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि, ‘न्यायालय के आदेश का पालन किया गया है.’ इसी के साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि, वर्तमान में ज्ञानवापी परिसर के आस-पास सुरक्षा को भी कड़ा कर दिया गया है.
बता दें कि कोर्ट के फैसले के बाद जहां एक ओर हिंदू पक्ष में खुशी का माहौल है तो दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष में दुख की लहर दौड़ गई है. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने वाराणसी कोर्ट के फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि, बुधवार को जज साहब के रिटायरमेंट का आखिरी दिन था. ओवैसी ने आगे सवाल खड़े करते हुए कहा है कि 17 जनवरी को रिसीवर बैठाया गया. पूरा केस पहले से ही डिसाइड किया गया था. इसी के साथ ही ओवैसी ने आरोप लगाया है कि ये पूरी तरह से प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का उल्लंघन है. इसके आलावा ओवैसी ने ये भी कहा है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की तरफ से जब तक इस एक्ट पर चुप्पी नहीं तोड़ी जाती है, तब तक इस तरह की चीजें होती रहेंगी.
-भारत एक्सप्रेस
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