UP News: महिला उत्पीड़न, भ्रष्टाचार, अनियमितता और आपराधिक मामलों को लेकर जनप्रतिनिधियों की तरह ही अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाए. इसको लेकर उत्तर प्रदेश विधान परिषद में भाजपा विधायक ने मांग की. बता दें कि प्रशासनिक अधिकारियों के विरुद्ध महिला उत्पीड़न, भ्रष्टाचार, आपराधिक आरोपों की उनके सेवाकाल में जांच पूरी कराने की मांग पर चर्चा कराने को लेकर पहली बार यूपी विधान परिषद में नोटिस दिया गया है. इसमें सबसे बड़ी बात ये है कि ये नोटिस सत्तारूढ़ पार्टी यानी भाजपा के दो विधायकों विजय बहादुर पाठक और दिनेश कुमार गोयल द्वारा दी गई है.
बता दें कि यूपी विधानमंडल के शीतकालीन सत्र का समापन शुक्रवार को हुआ है. चार दिवसीय सत्र के दौरान यूपी का अनुपूरक बजट पेश होने के बीच ही विधानपरिषद में बीजेपी के दो सदस्यों ने नई बहस को हवा दे दी है. भाजपा के विधायक विजय बहादुर पाठक और दिनेश गोयल ने उच्च सदन विधानपरिषद में इस बात को लेकर नोटिस दिया है कि राजनीतिक दल के सदस्यों की तरह ही अधिकारियों पर भी उनके सेवाकाल में ही जांच पूरी कर कार्रवाई करने का नियम होना चाहिए. इसके बाद उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में इस बात को लेकर चर्चा शुरू हो गयी है तो वहीं सियासत भी तेज हो गई है और ये चर्चा की जा रही है कि, राजनीति में भ्रष्टाचार और अनियमितता के मामले में कई बार कड़ी का काम करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की कोई व्यवस्था नहीं है.
भाजपा विधायक विजय बहादुर पाठक ने सदन में नियम 110 के तहत ये मामला उठाया और नोटिस में मांग की गई कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2017 में आदेश दिया था कि सांसदों और विधायकों से जुड़े आपराधिक, भ्रष्टाचार और अन्य मामलों से सम्बन्धित वादों को शीघ्र सुनवाई करते हुए उसके निस्तारण के लिए विशेष न्यायालयों का गठन करें. इसी के साथ नोटिस में ये भी मांग की गई कि, प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ लम्बित मामलों की जांच की जाए और उनके निस्तारण के लिए व्यवस्था की जाए. इसी के साथ नोटिस में ये कहते हुए मांग की गई है कि, प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ भी इसी तर्ज पर कार्रवाई की कोई व्यवस्था होनी चाहिए. इसी के साथ भाजपा विधायक ने इस मुद्दे पर मांग करते हुए नोटिस के जरिए पहली बार इस मुद्दे पर उच्च सदन विधान परिषद में चर्चा कराने की मांग की.
एमएलसी विजय बहादुर पाठक ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि अधिकतर अधिकारियों की जांच सेवा काल में पूरी ही नहीं हो पाती और वो सेवानिवृत्त हो जाते हैं और फिर वे कार्रवाई से बच जाते हैं. भाजपा विधायक ने ये भी कहा कि हाल ही में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें यूपी में कई वरिष्ठ अधिकारियों पर न सिर्फ भ्रष्टाचार, बल्कि महिला उत्पीड़न के आरोप भी लगे हैं. उन्होंने आगे कहा कि कई बार ऐसा होता है कि ऊंची पहुंच और रसूख के चलते अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती और पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है.
बता दें कि पिछले कुछ समय से जनप्रतिनिधियों के खिलाफ भ्रष्टाचार, अनियमितता के मामलों को लेकर कोर्ट सख्त रुख अपना रही है. हाल ही में कई जनप्रतिनिधियों के खिलाफ एमपी-एलए कोर्ट (MP-MLA court) ने दोषी पाते हुए एक्शन लिया है. भाजपा विधायकों का कहना है कि जनप्रतिनिधियों पर तो लगातार कार्रवाई हो रही है लेकिन भ्रष्टाचार या अनियमितता से जुड़े तमाम मामलों में अधिकारियों पर आरोप लगने के बाद भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.
-भारत एक्सप्रेस
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