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मन की बात ने बढ़ाई लोगों में सरकारी योजनाओं को लेकर जागरूकता, सर्वे में हुआ बड़ा खुलासा

Transformational Impact of Mann Ki Baat:  पीएम मोदी देशवासियों के साथ पिछले 9 साल से ‘मन की बात’ कर रहे हैं. इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार की कई योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया है. पीएम के ‘मन की बात’ कार्यक्रम का आमजनों पर क्या प्रभाव पड़ा इसके कुछ आंकड़े जारी किए गए हैं. दरअसल, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और आईआईएम बेंगलुररु ने मिलकर एक सर्वे किया है. इस रिसर्च में पिछले 9 सालों के दौरान की गई मन की बात के 105 एपिसोड का विश्लेशन किया गया है.

इन योजनाओं में बढ़ी महिलाओं की भागीदारी

रिपोर्ट के अनुसार, पीएम मुद्रा, स्वनिधि, सुकन्या समृद्धि, जन धन खाते और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (GBT) जैसी सरकारी योजनाओं के प्रति लोगों में जागरूकता का स्तर बढ़ा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी योजनाओं में महिलाओं की भागीदारी और महिला सशक्तिकरण में भी वृद्धि हुई है.

एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) के तहत अब तक लगभग 2 लाख करोड़ रुपये की बकाया जमा राशि के साथ 36 मिलियन खाते खोले गए हैं. SSY भारत सरकार की एक छोटी जमा योजना है जो विशेष रूप से बालिकाओं के लिए है, जिसे बेटी,बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत शुरू किया गया है.

रेहड़ी-पटरी वालों को बांटा गया लोन

रिपोर्ट में कहा गया है कि मन की बात के एपिसोड के बाद मुद्रा लोन एप्लीकेशन सर्च ने भी गूगल सर्च में लोकप्रियता हासिल की. वहीं स्ट्रीट वेंडर्स को सशक्त बनाने के लिए जुलाई 2020 में लॉन्च की गई पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) को मन की बात के दौरान भारी लोकप्रियता मिली है. एसबीआई की विशेष रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम स्वनिधि के तहत 65.5 लाख रेहड़ी-पटरी वालों को लोन बांटा गया है.

यह भी पढ़ें: डॉलर, पाउंड और रुपये को पछाड़ अफगानी करेंसी ने किया कमाल, आखिर कैसे तालिबान राज में इतनी मजबूत हुई मुल्क की मुद्रा?

क्या है मन की बात कर्यक्रम?

बता दें कि पीएम मोदी ने 3 अक्टूबर 2014 को मन की बात की शुरुआत की थी, जिसके बाद से ये हर महीने के आखिरी रविवार को सुबह 11 बजे ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन पर प्रसारित होती है. सबसे खास बात की ढेर सारे डिजिटल संचार साधनों के बावजूद, पीएम ने रेडियो को ही चुना. पीआईबी के अनुसार, 23 करोड़ लोग नियमित रूप से मन की बात सुनते हैं, और अन्य 41 करोड़ लोग इसे कभी-कभी सुनते हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अधिकांश श्रोता (लगभग 73%) आशावादी हैं और उन्हें लगता है कि देश प्रगति करेगा.

-भारत एक्सप्रेस

 

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

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