अफगानी करेंसी
Afghani Currency: अफगानिस्तान, तालिबान के क्रूर शासन, अर्थव्यवस्था की बदहाली और मानवाधिकारों के लिए कुख्यात रहा है. हैरानी की बात यह है कि इसी अफगानिस्तान की करेंसी ने अब दुनिया भर की कई दिग्गज करेंसियों को पछाड़ दिया है और सबसे तेजी से उभरती हुई मुद्रा बन गई है. इसकी गवाही ब्लूमबर्ग की हालिया रिपोर्ट दे रही है, जिसमें अफगानिस्तान की मुद्रा में आश्चर्यजनक उछाल देखा गया है. यह रिपोर्ट ऐसे वक्त में आई है जब तालिबान के शासन में अफगानिस्तान में आर्थिक हालत बेहद खराब हैं और लोग भुखमरी तक का शिकार हो रहे हैं.
दरअसल, ब्लूमबर्ग ने हालिया आंकड़ों के आधार पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें अफगानी करेंसी को दुनिया में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली करेंसी बताया है. इस करेंसी ने तेजी के मामले में डॉलर से लेकर पाउंड, दीनार और भारतीय रुपये तक को पीछे छोड़ दिया है. 26 सितंबर को एक डॉलर के मुकाबले अफगानी करेंसी की कीमत 78.25 थी, लेकिन 2 अक्टूबर को यही कीमत 77.751126 हो गई, जो कि बड़ा उछाल माना जा रहा है. अफगानी करेंसी की कीमत में आए उछाल को लेकर एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह तेजी बस शॉर्ट टर्म के लिए ही है.
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जारी है कुवैती दीनार की बादशाहत
अफगानिस्तान में भुखमरी से लेकर अर्थव्यवस्था में कोई खास सुधार नहीं हुआ है. ऐसे में शॉर्ट टर्म गेन को अफगानिस्तान के लिए कोई राहत नहीं समझनी चाहिए. वार्षिक आधार पर बेहतरीन प्रदर्शन की बात करें तो पहले नंबर पर कोलंबियाई करेंसी पेसो और श्रीलंकाई रुपया दूसरे नंबर पर है. फोर्ब्स के अनुसार 2023 की सबसे कीमती करेंसी फिलहाल कुवैत की दीनार ही है. दूसरी सबसे कीमती करेंसी के तौर पर बहरीन की दीनार और तीसरे नंबर पर ओमान की रिआल है. 1 कुवैती दीनार की कीमत 3.24 डॉलर और 269.54 रुपये है. बहरैनी दीनार की बात करें तो यह 2.65 अमेरिकी डॉलर और 220.83 रुपये है. तीसरे नंबर पर काबिज ओमानी रिआल की कीमत 2.60 डॉलर और 216 रुपये से ज्यादा है.
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क्यों उछल रही है अफगानी करेंसी?
गौरतलब है कि पिछले तीन महीनों में अफगानी मुद्रा की कीमत 9 परसेंट से ज्यादा बढ़ी है. इसकी वजहों पर गौर करें तो तालिबानी शासन ने इसके लिए कुछ खास सख्त कदम उठाए हैं. अफगानिस्तान में पाकिस्तानी रुपये से लेकर अमेरिकी डॉलर तक पर रोक लगाई गई है. इसके अलावा यहां ऑनलाइन ट्रेडिंग को क्राइम बताते हुए पकड़े जाने पर सख्त सजा का भी प्रावधान है. इतना ही नहीं, देश में धड़ल्ले से हवाला का कारोबार जारी है, जिसके चलते यूएस डॉलर्स का भी खूब एक्सचेंज हो रहा है.
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इसके अलावा ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में अफगानी करेंसी में आए उछाल के पीछे संयुक्त राष्ट्र द्वारा दी जारी आर्थिक मदद भी है. रिपोर्ट्स बताती हैं कि तालिबान राज आने के बाद से ही मुल्क को अब तक करीब 5.8 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता दी जा चुकी है. इस साल भी मुल्क को 3.2 अरब डॉलर्स की जरूरत है, जिसमें से 1.1 अरब डॉलर्स की मदद दी जा चुकी है. इसके अलावा लीथियम के भंडारण के चलते भी अफगानी करेंसी दिन-ब-दिन उछल रही है.
-भारत एक्सप्रेस
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