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Mathura: आज पूरे साल का लेखा-जोखा सुनेंगे बांके बिहारी, जानें नवसंवत्सर पर कैसे निभाई जाती है 550 साल पुरानी परंपरा

Banke Bihari Mandir Vrindavan: हिंदी नववर्ष आज से शुरू हो रहा है. इसको लेकर सनातन धर्म को मानने वाले सुबह से ही नया साल मना रहे हैं और तमाम सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर हिंदी नववर्ष ट्रेंड कर रहा है तो वहीं नए साल के पहले दिन मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में ठाकुर बांके बिहारी को पूरे साल भर का लेखा-जोखा सुनाया जाएगा.

मान्यता है कि वह सृष्टि के रचियता हैं और उन्हें सब कुछ पता है फिर भी परंपरा के मुताबिक हर साल हिंदी नववर्ष यानी नव संवत्सर की प्रतिपदा पर उनको संवत का फलादेश सुनाया जाता है. मंगलवार को भी 550 साल से चली आ रही इस परम्परा को निभाया जाएगा और मंदिर के पुरोहित आचार्य छैलबिहारी मिश्र ठाकुरजी को इस वर्ष का फलादेश पढ़कर सुनाएंगे.

आचार्य छैलबिहारी मिश्र बताते हैं कि ठाकुरजी को पांचांग सुनाने की परंपरा साढ़े पांच सौ साल पुरानी है. वह 2014 से इस परम्परा को निभा रहे हैं. खुद स्वामी हरिदास ने उनके परिवार को इस परम्परा को निभाने की जिम्मेदारी सौंपी थी. साल 1986 तक दादा गिर्राज मिश्र, इसके बाद पिता आचार्य सोहनलाल मिश्र ठाकुरजी को फलादेश सुनाते रहे.

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इस तरह बांके बिहारी को सुनाया जाएगा पूरे साल का लेखा-जोखा

पुरोहित आचार्य छैलबिहारी मिश्र ने बताया कि आज यानी मंगलवार को ठाकुर बांकेबिहारीजी के सामने पूरे साल का लेखाजोखा (फलादेश) सुनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए पंचांग का अध्ययन कर लिया गया है और फलोदश भी तैयार कर लिया गया है.

वह बताते हैं कि इस बार संवत में राजा मंगल और मंत्री शनि है. इस वजह से इस बार गर्मी का प्रकोप अधिक रहेगा. बारिश भी कम स्तर पर होगी और इस वजह से फसलें बर्बाद हो जाएंगी. हालांकि कई पश्चिमी क्षेत्र में फसलें सामान्य होंगी. अग्निकांड, विस्फोट की भी अधिक संभावना रहेगी.

उन्होंने बताया कि बांके बिहारी के सामने कहा जाएगा कि हे बांकेबिहारी, इस बार पृथ्वी का तापमान बढ़ेगा और लोगों के लिए गंभीर चुनौतियां पैदा करेगा. गर्म हवाएं इंसानों से लेकर पशु-पक्षी, फल-फूल, वनस्पतियां, पेड़, पौधे सभी को झुलसा देगी. भगवान भाष्कर अग्निवर्षा करेंगे. बादल घिरेंगे जरूर लेकिन बारिश नहीं होगी. खेती को नुकसान होगा. छुआ-छूत की बीमारी फैलेगी. चोर, डकैतों का आतंक होगा.

शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान देगी सरकार

आचार्य ने बताया कि शुक्र भी चतुर्थ स्थान में उच्च राशि का है इसलिए मनोरंजन यानी सिनेमा आदि से जुड़े साधनों का विकास होगा. चतुर्थ भाव में चंद्रमा भी स्थित होने के कारण सिंचाई के साधन बांध, नहर, खनिज से उत्पन्न धातुयें, इन क्षेत्रों के विकास-प्रसार का कार्य किया जायेगा. बुध के पंचम स्थान पर स्थित होने के कारण शिक्षा व्यवस्था पर सरकार ध्यान देने के लिये मजबूर हो जाएगी. तृतीय भाव में मंगल और शनि की युति उस पर भी शनि का स्वगृही होना अत्यंत शुभ फलकारी है. सेना सशक्त होगी और शत्रुओं पर भारी पड़ेगी. राहु-केतु नये टैक्स लगवा कर जनता के जेब पर भारी खर्च डाल देंगे. खनिज पदार्थ का कोई भंडार प्राप्त हो सकता है.

-भारत एक्सप्रेस

Archana Sharma

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