पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने गांदरबल में हुए हालिया हमले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से आग्रह किया कि वे गगनगीर में निर्माण कार्य के दौरान गैर-स्थानीय श्रमिकों के पलायन को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं. महबूबा ने ‘X’ पर एक पोस्ट में लिखा कि सोनमर्ग में हुई क्रूर घटना के बाद ऐसी सूचनाएँ आ रही हैं कि स्थानीय प्रशासन गैर-स्थानीय श्रमिकों पर घाटी छोड़ने का दबाव बना रहा है. उन्होंने कहा कि मैं उनकी चिंताओं को समझती हूँ, लेकिन इस तरह की स्थिति में श्रमिकों को जाने के लिए कहना सही हल नहीं है.
महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि श्रमिकों के जाने से स्थिति और भी बिगड़ जाएगी और यह देश के लिए एक नकारात्मक संदेश होगा. महबूबा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हाल ही में शांतिपूर्ण और आतंक-मुक्त चुनाव हुए हैं, और इस तरह की प्रतिक्रियाएँ इन प्रयासों के विपरीत संदेश देती हैं. महबूबा मुफ्ती ने चेतावनी दी कि यह कदम अन्य राज्यों में काम कर रहे कश्मीरियों के खिलाफ भी नकारात्मक भावनाएँ उत्पन्न कर सकता है. उन्होंने कहा कि इससे उन कश्मीरियों को भी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है, जो देश के विभिन्न हिस्सों में कार्यरत या अध्ययन कर रहे हैं.
Jammu-Kashmir पुलिस ने X पोस्ट पर महबूबा मुफ्ती के पोस्ट का खंडन करते हुए कहा, “सोशल मीडिया पर चल रही खबरों में दावा किया जा रहा है कि स्थानीय प्रशासन ने गैर-स्थानीय श्रमिकों को घाटी छोड़ने के लिए कहा है, जो कि गलत है/ जम्मू-कश्मीर पुलिस सभी व्यक्तियों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने और सुरक्षित वातावरण को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है.”
महबूबा ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उपराज्यपाल से आग्रह किया कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और श्रमिकों को पर्याप्त समय देने की व्यवस्था करें. गौरतलब है कि रविवार की शाम को, श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक सुरंग निर्माण स्थल पर आतंकवादियों ने एक डॉक्टर और छह श्रमिकों की गोली मारकर हत्या कर दी. इस हमले में कुल सात लोग मारे गए, जबकि पाँच अन्य घायल हो गए.
इस बीच, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस आतंकी हमले की निंदा की और इसे एक ‘उग्रवादी हमला’ करार दिया, हालांकि उन्होंने आतंकवादी शब्द का प्रयोग करने से परहेज किया. इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है, जो पिछले पांच वर्षों से कश्मीर में आतंक का पर्याय बना हुआ है. यह संगठन वादी में लक्षित हत्याएँ और अन्य राज्यों के नागरिकों पर हमले करने की कई घटनाओं का जिम्मेदार है.
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