आरजी कर अस्पताल में रेप और हत्या से जुड़ा स्वतः संज्ञान मामले में गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की मांग की है. अर्जी में कहा गया है कि सीआईएसएफ कर्मियों के पास ना तो उचित आवास है और ना ही बुनियादी सुविधाएं है. यदि अनुरोध पूरा नहीं किया गया तो राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू की जाए.
गृह मंत्रालय ने अर्जी में यह भी कहा है कि सीआईएसएफ महिला दल को उचित आवास, सुरक्षा उपकरण रखने और परिवहन के लिए जगह नहीं मिल रही हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार का रवैया असहयोग भरा है. इससे सीआईएसएफ के काम मे दिक्कत आ रही है. आरजी कर हॉस्पिटल में तैनात सीआईएसएफ के 97 लोगों में से 54 महिला हैं. उनके लिए भी उचित व्यवस्था नहीं की गई है. सीआईएसएफ को जगह न मिलने के चलते अपने सुरक्षा उपकरणों को भी सही तरीके रखने में समस्या आ रही है.
दरअसल मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि डॉक्टरों के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करने हेतु सुरक्षित स्थिति बनाए रखना जरूरी है. इसलिए हमें सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा आश्वासन दिया गया है कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज की सुविधा की सुरक्षा के लिए पर्याप्त संख्या में सीआईएसएफ की प्रतिनियुक्ति की जाएगी. क्योंकि बंगाल सरकार को भी इसमें कोई आपत्ति नहीं है, इसका उद्देश्य अस्पताल की सुरक्षा करना है. जिसके बाद आदेश के बाद अब सीआईएसएफ तैनात करने का फैसला गृह मंत्रालय किया गया था.
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इसको लेकर गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को पत्र लिखा था और कहा था कि अस्पताल परिसर में सीआईएसएफ की तैनाती की जाएगी. गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन के लिए आईजी सीआईएसएफ कोलकाता सेक्टर शिखर सहाय को नोडल अधिकारी नियुक्त किया था.
-भारत एक्सप्रेस
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