गुजरात के मोरबी में हुए हादसे के दो दिन बाद गुजरात के सीएम भूपेन्द्र पटेल पीड़ितों के बीच पहुंचे. वहीं मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हालात का जायज़ा लेने मोरबी पहुंच रहे हैं. जबकि हादसे की जांच के लिए गुजरात सरकार ने SIT गठित कर दी है. रविवार की शाम मच्छू नदी पर बने केबल ब्रिज पर भीषण हादसे में अब तक 141 लोगों की मौत की खबर है. जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हैं. हादसे की वजह पुल पर क्षमता से ज्यादा लोगों का होना बताया जा रहा है.
वीकएण्ड की शाम का खुशनुमा वक्त कुछ ही पलों में ज़िंदगी का आखिरी लम्हा होगा ये शायद मच्छू नदी पर बने केबल ब्रिज पर मौजूद किसी शख्स ने नहीं सोचा होगा, लेकिन अचानक मौत ने ऐसा तांडव मचाया कि कुछ समझने से पहले लाशें नदी में बहने लगीं, और जो बचे थे उनके साथ चश्मदीद हाहाकार मचाने लगे.आनन-फानन में प्रशासनिक अमला पहुंचा और राहत और बचाव कार्य शुरू हुआ. जो अब तक जारी है. हादसे में 100 से ज्यादा घायल लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस भीषण हादसे पर पीएम मोदी ने गहरा दुख जताया है, साथ ही पीड़ितों के लिए मुआवज़े का ऐलान भी हो चुका है.
ब्रिटिश काल में बना झूला पुल 233 मीटर लंबा और 1.25 मीटर चौड़ा है, जिसकी मरम्मत दो करोड़ की लागत से सात महीने पहले ही हुई थी. 100 लोगों की क्षमता वाले इस पुल को पांच दिन पहले ही लोगों के लिए खोला गया था और पुल के लिए 17 रुपए की टिकट भी तय की गई थी. लेकिन टिकट के ये 17 रुपए ही इस केबल ब्रिज के टूटने की वजह बने, क्योंकि 100 लोगों की क्षमता वाले इस झूला पुल पर हादसे वाले दिन 400 लोगों के लिए मौत की टिकट काटी गई. इस भीषण हादसे में मरने वालों में महिलाओं और बच्चों की संख्या ज्यादा है. किसी का पूरा परिवार ही हादसे में काल के गाल में समा गया. तो किसी घर का चिराग ही बुझ गया. जिसके बाद सरकार से लेकर प्रशासन तक हड़कंप मच गया.
मच्छू नदी में तैरती लाशों के साथ ही कई सवाल खड़े हो रहे हैं.
1- बिना NOC सर्टिफेकेट के पुल को लोगों के लिए किसकी अनुमति से लोगों के लिए खोला गया.
2-100 लोगों की क्षमता वाले केबल ब्रिज पर 400 लोग कैसे पहुंचे ?
3-सात महीने पहले जिस पुल को 2 करोड़ लगाकर रेनोवेट कराया गया..वो पांच दिन में ही क्यों टूट गया ?
ऐसे कई सवाल हैं. जिनका जवाब अब एसआईटी को जल्द तलाशना है, क्योंकि चुनाव के कगार पर खड़ी गुजरात की जनता को नाराज़ करने और विपक्ष को घेरने का मौका देने की गलती गुजरात सरकार कतई नहीं करना चाहेगी. इसीलिए हादसे की जांच के लिए फौरन एसआईटी गठित कर दी गई है, और मेंटेनेंस कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है. पीड़ितों के बीच नेताओं के पहुचने का सिलसिला भी जारी है, लेकिन इस हादसे के बाद एक बड़ा सवाल ये कि ये महज़ एक हादसा है या बड़ी लापरवाही के साथ ही लालच का नतीजा. क्या टिकट से ज्यादा कमाई की लालच ने ही ले ली मासूमों की जान ?
-भारत एक्सप्रेस
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