सरकार भले ही शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लंबे-चौड़े दावे करे लेकिन हकीकत कुछ और बयां करती है. अब उत्तर प्रदेश को ही लीजिए, जहां जूनियर हाईस्कूलों के 550 से ज्यादा शिक्षक बीते 16 सालों से अपनी सैलरी का इंतजार कर रहे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक इन शिक्षकों में 30 प्रतिशत ऐसे टीचर्स हैं जो अब रिटार्यड भी हो चुके हैं.
16 साल एक बहुत लंबी मुद्दत होती है.तब और भी ज्यादा लंबा हो जाता है जब आपको, किसी का इंतजार होगा. खासकर तब जब आप किसी विभाग में काम कर रहे हो और आपका वेतन रुका हुआ हो. यूपी के जूनियर हाईस्कूलों में 350 शिक्षक ऐसे हैं जिनकी साल 2006 में स्थायी मान्यता मिलने के पूर्व से नियुक्ति हुई थी. शिक्षा विभाग इस मुद्दे पर सफाई देते हुए कह रहा है कि, इनकी चयन प्रक्रिया पूरी नहीं है, जबकि इनकी नियुक्ति सृजित पद पर प्रबंध समिति के प्रस्ताव पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने मान्य की है.
बता दें जूनियर हाईस्कूलों में नियुक्त इन टीचर्स के अलावा बीपीएड, डीपीएड और सीपीएड प्रशिक्षण योग्यता वाले लगभग 50 और शिक्षा विशारद, बॉम्बे आर्ट, पत्राचार बीएड आदि योग्यताधारी तकरीबन 150 शिक्षकों को भी सैलरी नहीं दी जा रही है. यह सब शिक्षक लंबे समय से इंतजार कर रहे है कि, शायद इस साल उनका रुका हुआ वेतन सरकार बहाल कर दे.
यूपी के जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों को पिछले लंबे समय से वेतन ना मिले जाने का मामला हाईकोर्ट में है. जहां डिवीजन बेंच की जजों ने सुनवाई के दौरान शिक्षा विभाग को भुगतान करने का आदेश दिया था. जिसके बाद यह मामला विधान परिषद की आश्वासन समिति और विलंब समिति को भेज दिया गया था. इन समितियों ने शिक्षकों की सैलरी को रिलीज करने का फैसला दिया था, इसके बावजूद बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने वेतन भुगतान के लिए कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. जबकि इस पर शिक्षा विभाग ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि सेवा नियमावली में ये प्रशिक्षण मान्य नहीं है.
-भारत एक्सप्रेस
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