MP Election: मध्य प्रदेश चुनाव की तारीख नजदीक आ गई है. तमाम राजनीतिक पार्टियों ने लगभग सभी सीटों पर प्रत्याशियों को मैदान में उतार दिया है. बीजेपी ने भी लगभग 228 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. कहा जा रहा है टिकट बंटवारे में कांग्रेस से भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया की खूब चली है. साल 2020 में कमलनाथ की सरकार गिराने वाले सिंधिया के समर्थकों को बीजेपी ने टिकट दिया है. सिंधिया के साथ उस वक्त करीब 25 विधायकों ने कांग्रेस का हाथ छोड़ बीजेपी का साथ दिया था. उनमें से 18 विधायकों को ईनाम में टिकट दिया गया है.
बता दें कि टिकट पाने वालों में 10 सिंधिया समर्थक मंत्री हैं. इनमें प्रद्युम्न सिंह तोमर (ग्वालियर), बिसाहूलाल सिंह (अनूपपुर), हरदीप सिंह डंग (सुवासरा, मंदसौर), महेंद्र सिंह सिसौदिया (बमौरी, गुना), तुलसी सिलावट (सांवेर, इंदौर), राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव (बदनावर, धार), प्रभुराम चौधरी (सांची, रायसेन), गोविंद सिंह (सुर्खी, प्रद्युम्न सिंह लोधी और सुरेश धाकड़ का नाम शामिल है.
जानकारी के मुताबिक, सिंधिया समर्थक जो नेता 2020 के चुनाव में हार गए थे. उन्हें भी बीजेपी ने टिकट दिया है. इनमें डबरा से इमरती देवी, सुमावली से ऐंदल सिंह कंषाना और मुरैना से रघुराज सिंह कंषाणा का नाम शामिल है. इससे साफ है कि कांग्रेस से नजरअंदाज किए गए ज्योतिरादित्य सिंधिया की बीजेपी में खूब चल रही है. वहीं बीजेपी भी महाराज को नाराज नहीं करना चाहती. इसलिए भी उनके ज्यादा से ज्यादा समर्थकों को टिकट दिया गया है.
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दूसरी ओर कांग्रेस ने भी बड़ा दांव खेला है. कांग्रेस ने भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुराने समर्थकों को खूब टिकट बांटे हैं. जिन नेताओं को कांग्रेस ने टिकट दिया है वो सिंधिया के साथ बीजेपी में आए जरूर थे लेकिन फिर से घर वापसी कर ली. इनमें बोधी सिंह भगत, समंदर पटेल, बैजनाथ यादव का नाम सबसे ऊपर है.
बता दें कि मध्य प्रदेश चुनाव के लिए बीजेपी ने केंद्र से अपने सात कमांडर को राज्य की राजनीति करने भेजा है. इसमें तीन केंद्रीय मंत्री और 3 सांसद के साथ एक पार्टी महासचिव हैं. जिन बड़ें नेताओं को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है उनमें नरेंद्र सिंह तोमर दिमनी मुरैना, प्रहलाद सिंह पटेल नरसिंहपुर, फग्गन सिंह कुलस्ते निवास मंडला, कैलाश विजयवर्गीय इंदौर, राकेश सिंह जबलपुर, गणेश सिंह सतना, रीति पाठक सीधी का नाम शामिल है. राजनीति के जानकारों का मानना है कि इस चुनाव में सिंधिया की असली परीक्षा है. सिंधिया के समर्थकों को टिकट तो मिल गया है लेकिन जीत दिलाना एक अहम टास्क होगा.
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