MRI स्कैन के दौरान महिला की मौत
MRI Scan: आपने MRI स्कैन के बारे में तो सुना ही होगा. इसका इस्तेमाल मस्तिष्क, हड्डियों व मांसपेशियों, ट्यूमर-कैंसर और जेनेटिक डिसऑर्डर का पता लगाने में होता है. बीमारी की सटीक जानकारी के लिए यहा जांच होती है. लेकिन कुछ लोग ऐसे है जिन्हें इसका इस्तेमाल करना नहीं आता जिसकी लापरवाही की वजह से कई लोगों की मौत हो जाती है. ऐसा ही एक मामला आंध्र प्रदेश से सामने आया है. जहां अस्पताल अधिकारियों की लापरवाही की वजह से MRI स्कैन के दौरान 60 वर्षीय महिला नल्लगुचू रामा तुलसाम्मा की मौत हो गई. ऐसे में चलिए हम आपको बताते हैं आखिर क्या है पूरा मामला?
दरअसल, तुलसाम्मा पहले से ही डायलिसिस उपचार से गुजर रही थीं और उन्हें पेसमेकर लगाया गया था, तभी डॉक्टर ने स्थानीय डायग्नोस्टिक सेंटर में MRI स्कैन करवाने की सलाह दी. उनके पति कोटेश्वर राव उनके साथ स्कैन करवाने गए. MRI प्रक्रिया के दौरान तुलसम्मा को असहजता महसूस हुई, जिसे उनके पति ने तुरंत टेक्नीशियन को बताया, लेकिन आरोप है कि टेक्नीशियन ने समय रहते प्रतिक्रिया नहीं दी. सबसे बड़ी चूक यह थी कि डायग्नोस्टिक सेंटर के कर्मचारियों ने न तो तुलसम्मा के पेसमेकर को पहचाना और न ही उनके डायलिसिस प्लग पर ध्यान दिया. MRI मशीन की मजबूत चुंबकीय शक्ति के कारण तुलसम्मा को गंभीर समस्या हुई और स्कैन खत्म होने के बाद उनकी मौत हो गई.
राव की चिंताओं के प्रति तकनीशियन की कथित उदासीनता ने रोगी सुरक्षा के प्रति केंद्र की प्रतिबद्धता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. राव ने बताया कि स्कैन से पहले उनकी पत्नी बिल्कुल ठीक थी. एमआरआई के दौरान उन्हें अपनी पत्नी के पैरों को पकड़कर चलने को कहा गया था. उनका दावा है कि जब पत्नी को असहजता महसूस हुई तो उन्होंने तकनीशियन को सूचित किया, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. स्कैन पूरा होने के बाद तुलसाम्मा की मौत हो गई.
रमा तुलसी के पति कोटेश्वर राव ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी पत्नी की मौत उनकी आंखों के सामने तड़प रही थी. रमा के पति ने कहा कि स्कैनिंग के दौरान, उसने स्कैनिंग स्टाफ को पहले ही बता दिया था रमा को किडनी की समस्या के कारण डायलिसिस हो रहा है, और उसे दिल की समस्या के कारण पेसमेकर भी लगाया गया है.
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स्कैन से पहले गहने, घड़ी, बेल्ट, चश्मा और अन्य धातु से बनी चीजें हटा दें, क्योंकि MRI मशीन की चुंबकीय शक्ति इन्हें प्रभावित कर सकती है.
यदि मरीज के शरीर में पेसमेकर, धातु की प्लेट, कोक्लियर इम्प्लांट या अन्य कोई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगा हो, तो डॉक्टर और रेडियोलॉजिस्ट को इसकी जानकारी अवश्य दें.
गर्भवती महिलाओं, गुर्दे की बीमारी से पीड़ित लोगों और क्लॉस्ट्रोफोबिया (संकुचित स्थानों का डर) से ग्रसित मरीजों को स्कैन से पहले रेडियोलॉजिस्ट को सूचित करना चाहिए.
MRI स्कैन के दौरान हिलने-डुलने से छवियां धुंधली आ सकती हैं, जिससे रिपोर्ट प्रभावित हो सकती है.
MRI मशीन में आपातकालीन बटन दिया जाता है. यदि मरीज को किसी भी प्रकार की परेशानी महसूस हो, तो तुरंत तकनीशियन को सूचित करें.
-भारत एक्सप्रेस
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