कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) द्वारा भूमि आवंटन में कथित अनियमितताओं को लेकर उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने के राज्यपाल थावरचंद गहलोत के फैसले के खिलाफ सोमवार को हाईकोर्ट का रुख किया. मुख्यमंत्री की ओर से अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी सिद्दारमैया की पैरवी करेंगे.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को मामले की सुनवाई 29 अगस्त तक के लिए टाल दी. अदालत ने यह भी कहा कि निचली अदालत 29 अगस्त तक मामले की सुनवाई नहीं कर सकती.
यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब कांग्रेस ने विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ अपना अभियान तेज कर दिया है और उस पर राज्यपाल के कार्यालय का राजनीतिक प्रतिशोध के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है.
इस संबंध में सीएम सिद्धारमैया ने 22 अगस्त को विधान सौधा कॉन्फ्रेंस हॉल में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक बुलाई. कर्नाटक के सूचना प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा कि पार्टी के सदस्यों को घटनाक्रम के बारे में जानकारी देने की जरूरत है.
उन्होंने कहा, ‘चूंकि राज्यपाल की भूमिका को लेकर बहुत हंगामा हो रहा है, इसलिए हमें अपने लोगों को अवगत कराने की जरूरत है. आखिरकार वे जनता के प्रतिनिधि हैं; 136 विधायकों को यह जानने की जरूरत है कि क्या हो रहा है.’
इसी तरह एक पार्टी नेता ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि वह पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को जानकारी देने के लिए मंगलवार को नई दिल्ली का दौरा करेंगे.
विवाद इस आरोप पर केंद्रित है कि सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को 2021 में मैसूर के एक पॉश इलाके में 50:50 अनुपात योजना के तहत अनुचित तरीके से भूमि आवंटित की गई थी. आलोचकों का दावा है कि आवंटित भूमि का संपत्ति मूल्य MUDA द्वारा उनसे अधिग्रहित भूमि की तुलना में काफी अधिक था. भाजपा नेताओं ने सुझाव दिया है कि कथित घोटाला 4,000 करोड़ से 5,000 करोड़ रुपये के बीच हो सकता है.
राज्यपाल की सीएम के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने के मद्देनजर उपमुख्यमंत्री और कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने 19 अगस्त को राज्यव्यापी विरोध रैलियों की घोषणा की है.
शिवकुमार ने राज्यपाल के फैसले की निंदा करते हुए इसे कर्नाटक में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार को अस्थिर करने के लिए भाजपा द्वारा राजनीति से प्रेरित प्रयास बताया.
उन्होंने कहा, ‘यह लोकतंत्र की हत्या है और हम इसका विरोध करेंगे. हमने अपने पार्टी नेताओं को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि असामाजिक तत्व रैलियों में घुसपैठ न करें और परेशानी पैदा न करें.’
पिछले दिनों सीएम सिद्धारमैया ने इस मामले को लेकर कहा था, ‘राज्यपाल का फैसला पूरी तरह से असंवैधानिक है. हम इसे कानूनी रूप से चुनौती देंगे.’
उन्होंने कहा था कि राज्यपाल इस सरकार को हटाने की कोशिश कर रहे हैं. मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने भाजपा और जेडीएस पर मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) भूमि आवंटन घोटाले के संबंध में झूठे आरोप लगाकर उनकी छवि खराब करने का आरोप लगाया है.
-भारत एक्सप्रेस
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