समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव की तेरहवीं का कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं होगा.बहुत कम लोगों को पता होगा कि सैफई में ये परंपरा नहीं निभाई जाती.यही कारण है कि इस परंपरा को खुद अखिलेश भी जारी रखना चाहते हैं. केवल 11वें दिन केवल हवन और श्रद्धांजलि सभा का आयोजन होगा. इसके अलावा हरिद्वार में अस्थियों का विसर्जन किया जाएगा. गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन के बाद सैफई में मंगलवार को मुलायम का अंतिम संस्कार किया गया था. बुधवार को परिवार के लोगों ने शुद्धि संस्कार में भाग लिया और अखिलेश समेत परिवार के पुरुष सदस्यों ने बाल भी मुंडवाए थे.कल अखिलेश यादव ने आने वाले किसी व्यक्ति से भेंट नहीं की.
हिंदू समुदाय में आमतौर पर किसी के निधन के बाद तेरहवीं कराने की परंपरा है. इस दिन उन लोगों को भोजन कराया जाता है जो शव की अर्थी के साथ श्मशान घाट तक जाते हैं. इसे ब्रह्म भोज भी कहा जाता है.इसमें रिश्तेदारों, परिचितों, जान-पहचान वालों और गांव वालों को भोज कराने का चलन है.लेकिन सैफई में ये परंपरा को बंद कर दिया गया था.यहां के लोग मानते हैं कि तेरहवीं का भोज करने से आर्थिक बोझ पड़ता है. एक तरफ लोग अपनों से बिछड़ने के गम में डूबे होते हैं दूसरी ओर भोज का आयोजन ठीक नहीं लगता है. इसी को देखते हुए सैफई गांव ने तेरहवीं नहीं करने का फैसला बहुत पहले किया था.
रही बात मुलायम सिंह के परिवार की तो उनके सामने आर्थिक संकट जैसी कोई चीज नहीं है.सभी आर्थिक रूप से बहुत सक्षम हैं. वह तेरहवीं कर सकते थे लेकिन सैफई के लोगों का यह भी मानना है कि अगर कोई बड़ा आदमी तेरहवीं करता है तो उसे देखकर गरीब आदमी भी करेगा और उस पर आर्थिक बोझ पड़ेगा. इसी वजह से अमीर घरों के लोग भी सैफई की परंपरा निभाते हैं और तरहवीं नहीं करते है. अब अखिलेश यादव ने भी सैफई की परंपरा निभाते हुए पिता मुलायम की तेरहवीं नहीं करने का फैसला लिया है.
–भारत एक्सप्रेस
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