ओडिशा में दो कोयला ब्लॉक के आवंटन से संबंधित कथित कोयला घोटाला मामले में राऊज एवेन्यु कोर्ट ने पूर्व कोल सचिव एचसी गुप्ता सहित छह लोगों को सबूत के आभाव में बरी कर दिया है. स्पेशल जज संजय बंसल ने एचसी गुप्ता के अलावा नवभारत पावर प्राइवेट लिमिटेड, उसके तत्कालीन अध्यक्ष पी त्रिविक्रम प्रसाद और तत्कालीन प्रबंध निदेशक वाई हरीश चंद्र प्रसाद, कोयला मंत्रालय में पूर्व संयुक्त सचिव के एस क्रोफा और मंत्रालय के कोयला आवंटन अनुभाग के पूर्व निदेशक के सी समारिया को भी बरी कर दिया.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि सीबीआई किसी भी उचित संदेश से परे यह साबित करने में विफल रही कि अभियुक्त द्वारा कोई गलत बयान दिया गया था. अदालत ने पाया कि धोखाधड़ी का कोई मामला साबित नही हो सका, क्योंकि किसी को भी गलत सूचना के आधार पर काम करने के लिए प्रेरित नही किया गया था.
अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जब आवेदन पूरा पाया गया है, जब आवेदक कंपनी एनपीपीएल योग्य थी और जब कोई गलत बयानी नही की गई थी, तो किसी भी साजिश के अस्तित्व के बारे में कोई सवाल नही उठता है. अदालत ने जोर देकर कहा कि अभियोजन पक्ष आपराधिक साजिश या विस्वासघात के किसी भी दावे को साबित करने में विफल रहा है.
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि कंपनी वाई हरीश चंद्र प्रसाद और पी त्रिविक्रम प्रसाद ने 2006-08 में गुप्ता, क्रोफा और समारिया के साथ मिलकर एक आपराधिक साजिश रची और आवेदन और फीडबैक फॉर्म में भूमिका में भूमि और कंपनी की निवल संपत्ति झूठा दावा करके भारत सरकार के कोयला मंत्रालय को धोखा दिया और मंत्रालय को कंपनी के पक्ष में कोयला खदान आवंटित करने के लिए प्रेरित किया. अदालत ने फैसला सुनाते हुए यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष के सबूत आरोपों को साबित करने के लिए अपर्याप्त थे.
-भारत एक्सप्रेस
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