Old Rajendra Nagar Coaching Centre Incident: ओल्ड राजेंद्र नगर कोचिंग सेंटर हादसे के मामले में राऊज एवेन्यु कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट निशांत गर्ग ने भूतल, प्रथम और द्वितीय तल के मालिकों की ओर से सील हटाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है.
अदालत ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि केवल वेसमेंट (भूतल) ही जांच का विषय है और अन्य मंजिलों का इससे कोई संबंध नहीं है. कोर्ट ने यह भी कहा कि इमारत की ऊपरी मंजिलों पर सील हटाने या उन्हें मुक्त प्रवेश/निकास की अनुमति देने के लिए कोई पर्याप्त आधार नहीं है.
हादसे के पीड़ितों में से एक के वकील अभिजीत आनंद ने कोर्ट में कहा कि यह रिकॉर्ड में आया है कि पूरी इमारत जांच का विषय थी. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दिल्ली अग्निशमन सेवा द्वारा अवैध रूप से एनओसी (नोक-ऑफ-कोन्सेट) जारी की गई थी और परिसर को शैक्षणिक भवन के रूप में प्रमाणित नहीं किया गया था.
आनंद ने यह तर्क भी दिया कि आवेदन इस अदालत के समक्ष विचारणीय नहीं है क्योंकि सीबीआई जांच का आदेश दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिया था, और इस मामले की याचिकाएँ उच्च न्यायालय में दायर की जानी चाहिए थीं.
मालिकों की ओर से दावा: कब्जा नहीं सौंपा गया
वकील ने यह भी कहा कि मकान मालिकों ने अपनी संपत्ति को राऊ के आईएएस स्टडी सर्किल को किराए पर दिया था, लेकिन किराएदार/पट्टेदार ने मकान मालिकों को कब्जा वापस नहीं सौंपा. इस कारण से, मालिकों को सील हटाने की मांग करने का अधिकार नहीं है.
इमारत की सुरक्षा को ध्यान में रखा जाना चाहिए
अदालत ने कहा कि आवेदक न केवल अपनी-अपनी मंजिलों के मालिक हैं बल्कि उस भूमि में अपने-अपने अविभाजित हिस्से के भी मालिक हैं, जिस पर इमारत का निर्माण किया गया है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इमारत की सुरक्षा के मद्देनजर बेसमेंट (भूतल) को अलग इकाई के रूप में नहीं माना जा सकता है.
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