दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी उप वन संरक्षक (DCF) को निर्देश दिया है कि जब तक वन एवं वन्यजीव विभाग के पास यह सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश या एसओपी नहीं हो जाते कि पेड़ों की छंटाई दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार की जाए तब तक पेड़ों की छंटाई नहीं की जाएगी.
जस्टिस जसमीत सिंह ने कहा कि यदि छंटाई की जानी है, तो वन विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि इसकी निगरानी के लिए एक योग्य और जिम्मेदार व्यक्ति मौजूद हो. अदालत ने साथ ही दक्षिण वन प्रभाग के उप वन संरक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी किया कि कैसे DPTA के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए बिना उचित निरीक्षण या कारण बताए पेड़ों की छंटाई की अनुमति दी गई.
अदालत एक अवमानना याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि अधिकारी अदालत द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने में विफल रहे, जिसमें वृक्ष अधिकारियों को पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के कारणों को स्पष्ट करने की आवश्यकता थी. राष्ट्रीय राजधानी में पेड़ों के संरक्षण से संबंधित एक मामले में अदालत द्वारा पारित आदेशों के संबंध में अवमानना याचिका दायर की गई थी.
अदालत ने पाया कि प्रथमदृष्टया DPTA के प्रावधानों का उल्लंघन, न्यायिक आदेशों का उल्लंघन तथा कुल मिलाकर असंतोषजनक स्थिति है. कोर्ट ने कहा ऐसा लगता है कि दक्षिण वन प्रभाग के उप वन संरक्षक को वन एवं वन्यजीव विभाग पर लगाए गए वैधानिक कर्तव्य एवं जिम्मेदारी की जानकारी नहीं है.
कोर्ट ने कहा, इस न्यायालय ने बार-बार DCF को पेड़ों के संरक्षण की उनकी भूमिका की याद दिलाई है, जो कि कानून के पीछे प्राथमिक उद्देश्य है तथा डीपीटीए की धारा 9 के तहत पेड़ों को गिराने, काटने, हटाने या निपटाने की अनुमति लापरवाही से नहीं दी जा सकती. कोर्ट 10 जनवरी को अगली सुनवाई करेगा.
पिछले साल अदालत ने एक आदेश पारित किया था जिसमें कहा गया था कि राष्ट्रीय राजधानी में घरों के निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई के लिए शहर के अधिकारियों द्वारा किसी को भी अनुमति नहीं दी जाएगी. बाद में, अदालत ने दिल्ली के प्रधान मुख्य वन संरक्षक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम के तहत पेड़ों की कटाई की अनुमति देने वाले आदेश आधिकारिक वेबसाइट पर 48 घंटे की अवधि के भीतर अपलोड किए जाएं.
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-भारत एक्सप्रेस
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