दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल के खिलाफ सोशल मीडिया पर कोर्ट की सुनवाई के वीडियो क्लिप पोस्ट करने के लिए प्राथमिकी दर्ज करने की मांग को लेकर उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है. जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता वैभव सिंह ने कई सोशल मीडिया हैंडल का नाम भी लिया है, जिन्होंने दिल्ली शराब नीति से संबंधित मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट को संबोधित करने के लिए अरविंद केजरीवाल का ऑडियो/वीडियो पोस्ट किया है.
वैभव सिंह ने घटना की विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा जांच की मांग की है. सिंह ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि केजरीवाल द्वारा 28 मार्च को राउज एवेन्यू कोर्ट को संबोधित करने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) और अन्य विपक्षी दलों से जुड़े कई सोशल मीडिया हैंडल ने कोर्ट की कार्यवाही की वीडियो/ऑडियो रिकॉर्डिंग बनाई और उन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया. 28 मार्च को केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति मामले के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा कोर्ट में पेश किया गया था.
केजरीवाल ने व्यक्तिगत रूप से कोर्ट को संबोधित किया और कहा कि ईडी भाजपा के लिए जबरन वसूली का रैकेट चला रहा है. सिंह के अनुसार सुनवाई खत्म होने के तुरंत बाद कई सोशल मीडिया हैंडल ने कोर्ट की कार्यवाही की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग को पोस्ट, रीपोस्ट, फॉरवर्ड, शेयर, रीशेयर करना शुरू कर दिया. सुनीता केजरीवाल ने अक्षय नाम के एक एक्स (ट्विटर) अकाउंट द्वारा अपलोड की गई ऑडियो रिकॉर्डिंग को रीपोस्ट किया.
अधिवक्ता ने तर्क दिया है कि कोर्ट के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए दिल्ली हाइकोर्ट नियम 2021 के तहत अदालती कार्यवाही की रिकॉर्डिंग प्रतिबंधित है और इन वीडियो को वायरल करना न्यायपालिका और न्यायाधीशों की छवि को खराब करने का एक प्रयास है. सिंह ने कहा इस ऑडियो/वीडियो रिकॉर्डिंग के संबंध में पोस्ट को ट्विटर पर प्रसारित किया गया था. जिन परिस्थितियों में ऑडियो/वीडियो रिकॉर्डिंग वायरल हुई, उससे राजनीतिक दलों द्वारा न्यायपालिका की छवि खराब करने और इस देश के आम लोगों को गुमराह करने और आम जनता को यह दिखाने की गहरी साजिश की बू आ रही है कि न्यायपालिका सरकार के इशारे पर और केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रही है.
उन्होंने कहा कि इस तरह के वीडियो पोस्ट करना अरविंद केजरीवाल और आप द्वारा रची गई साजिश का हिस्सा है. याचिकाकर्ता ने कहा, उपरोक्त परिस्थितियों से ऐसा लगता है कि अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के सदस्यों द्वारा अदालती कार्यवाही की ऑडियो/वीडियो रिकॉर्डिंग रिकॉर्ड करने की यह एक पूर्व नियोजित साजिश थी. केजरीवाल ने न तो पहले और न ही बाद में अदालत में अपना मामला पेश किया, जिससे पता चलता है कि 28 मार्च 2024 को अपना मामला पेश करना जनता की भावनाओं को भड़काने की किसी साजिश का हिस्सा था.
-भारत एक्सप्रेस
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