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गिरफ्तार या हिरासत? इन शब्दों को लेकर कन्फ्यूज हैं तो यहां दूर कर लें…

अगर पुलिस को किसी को अपने साथ ले जाती है तो लोग अक्सर उसे गिरफ्तार समझ लेते हैं, लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता, बल्कि कई बार व्यक्ति को पुलिस हिरासत में भी लेती है. गिरफ्तार (Arrest) और हिरासत (Custody) दोनों में काफी अंतर है. तो आइए जानते हैं क्या है गिरफ्तारी और हिरासत में अंतर.

दरअसल गिरफ्तारी और हिरासत दो ऐसे शब्द हैं, जो अक्सर एक दूसरे के साथ जुड़े होते हैं. बावजूद इसके दोनों में काफी अंतर होता है. गिरफ्तारी का अर्थ है किसी व्यक्ति को कानून के तहत हिरासत में लेना और जेल भेजने की कार्रवाई करना, जबकि हिरासत का अर्थ है किसी व्यक्ति को सुरक्षात्मक देखभाल के लिए पकड़ना और मामले में पूछताछ करना. कई बार बड़े मंत्रियों के कार्यक्रम लगने, क्षेत्र में हालात खराब होने, धरना-प्रदर्शन में शामिल होने पर अक्सर पुलिस व्यक्ति को हिरासत में लेती है.

क्या है गिरफ्तारी


गिरफ्तारी एक कानूनी प्रक्रिया है. इसके अंतर्गत पुलिस या कोई जांच एजेंसी व्यक्ति को गिरफ्तार करती है. गिरफ्तारी से पहले पुलिस या एजेंसी हिरासत में लेकर पूछताछ करती है, अगर पूछताछ में आरोप तय हो जाते हैं तो फिर उसके बाद व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है. जब कोई अपराध होता है और संबंधित व्यक्ति को उसमें आरोपी बनाया जाता है, तो उसकी गिरफ्तारी होती है.

हालांकि गिरफ्तार व्यक्ति को पुलिस थाने लाकर पूछताछ करती है. पुलिस जब किसी व्यक्ति को किसी अपराध के लिए औपचारिक रूप से पकड़ती है और उसे कानूनी प्रक्रिया के तहत कोर्ट में पेश करने के लिए ले जाती है, तो उसे गिरफ्तारी कहा जाता है.

क्या है हिरासत

हिरासत भी एक कानूनी प्रक्रिया है. इसमें आरोप सिद्ध हो या न हो, व्यक्ति को पुलिस हिरासत में ले सकती है. अगर किसी पर पुलिस को संदेह होता है तो भी व्यक्ति को पुलिस हिरासत में ले सकती है. कई बार आंदोलनकारियों को भी पुलिस हिरासत में लेती है. इसके साथ भीड़ से भी कुछ लोगों से
पूछताछ करने के लिए पुलिस हिरासत में लाकर पूछताछ करती है. गिरफ्तार की प्रक्रिया से पहले की कार्रवाई को हिरासत कहा जा सकता है.

हिरासत में से कई बार छूटने की संभावना होती है, लेकिन गिरफ्तारी के बाद व्यक्ति को छोड़ने का अधिकार सिर्फ कोर्ट यानी की न्यायालय को है.
न्यायालय भी तब बरी करता है, जब व्यक्ति पर लगे आरोप साबित नहीं होते. जब पुलिस किसी व्यक्ति को अस्थायी रूप से रोककर पूछताछ करती है या स्थिति स्पष्ट करने के लिए उसे कुछ समय तक अपने पास रखती है, तो उसे हिरासत कहते हैं. इसमें व्यक्ति को औपचारिक रूप से
गिरफ्तार नहीं किया जाता है.

क्या है पुलिस और न्यायिक हिरासत


हिरासत भी दो प्रकार के होते हैं. एक पुलिस हिरासत (Police Custody) दूसरा न्यायिक हिरासत (Judicial Custody). पुलिस हिरासत में व्यक्ति को थाने में लाकर पूछताछ की जाती है. व्यक्ति को पकड़ने से लेकर पूछताछ करने की प्रक्रिया सब हिरासत में ही आती है. पुलिस हिरासत तब होती है जब किसी व्यक्ति को थाने में लाकर
पूछताछ की जाती है, जबकि न्यायिक हिरासत का मतलब जब किसी व्यक्ति पर आरोप लगता है और पुलिस गिरफ्तार करके कोर्ट को सौंपती है तो फिर न्यायालय से व्यक्ति को न्यायिक हिरासत में भेजा जाता है.

व्यक्ति न्यायिक हिरासत में तब तक रहता है जब तक उस पर आरोप सिद्ध न हो जाए या फिर उसको सजा न सुना दिया जाए. अगर आरोप सिद्ध हो जाता है और कोर्ट द्वारा सजा सुना दी जाती है तो वो व्यक्ति कैदी हो जाता है. अगर पुलिस को पूछताछ करना होता हो तो फिर न्यायालय से परमिशन लेकर पुलिस व्यक्ति से पूछताछ करती है.

दूसरी ओर पुलिस हिरासत में व्यक्ति को पुलिस स्टेशन में रखा जाता है, पुलिस हिरासत की अवधि 15 दिनों तक हो सकती है, जबकि न्यायिक हिरासत में व्यक्ति को जेल में रखा जाता है और व्यक्ति को न्यायाधीश के सामने पेश किया जाता है. न्यायिक हिरासत की अवधि 90 दिनों तक हो सकती है.

कार्रवाई और कार्यवाही में भी है अंतर

कई बार लोग कार्रवाई (Action) और कार्यवाही (Proceeding) में कन्फ्यूज हो जाते हैं और गलतियां कर देते हैं. कार्रवाई का संबंध किसी व्यक्ति या संस्थान पर कोई सजा या पनिशमेंट से होता है, जबकि कार्यवाही का मतलब काम-काज से होता है. पुलिस व्यक्ति पर कार्रवाई करती है, जबकि संसद की कार्यवाही होती है. इसलिए कार्रवाई और कार्यवाही में अंतर होता है.

-भारत एक्सप्रेस

दिलीप मिश्रा

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