Prayagraj: महाकुंभ से पहले यूपी प्रयागराज में गंगा की धारा बदलने की खबर सामने आ रही है. खबर सामने आ रही है कि कटान के कारण गंगा की धारा बदल रही है और गंगा अब हनुमान मंदिर के नजदीक आ रही हैं. हालांकि इंजीनियरों की मानें तो ये कटान खतरनाक नहीं है, लेकिन अगर कटान इसी तरह से जारी रही तो बांध के नजदीक गंगा का प्रवाह होगा. 2024 में पड़ने वाले माघ मेले को देखते हुए अस्थाई तौर पर जिला प्रशासन कटान रोकने की तैयारी में जुटा है. हालांकि इस बदलाव से संगम नोज का बड़ा हिस्सा गंगा में समाहित हो रहा है.
बता दें कि जहां एक ओर माघ मेला-2024 और महाकुम्भ-2025 की तैयारियां जारी हैं. वहीं दूसरी ओऱ संगम क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन हो रहा है. गंगा का प्रवाह धीरे-धीरे बड़े हनुमान मंदिर के नजदीक आ रहा है, जिसकी वजह से संगम नोज का बड़ा हिस्सा गंगा में समाहित हो रहा है. मिली जानकारी के मुताबिक बेनी बांध की ओर कटान बढ़ गया है. बताया जा रहा है कि गंगा के प्रवाह में ये परिवर्तन तीन साल पहले शुरू हुआ था. नागवासुकि मंदिर के पास से गंगा के प्रवाह में ये परिवर्तन शुरू हुआ था जो कि संगम तक जारी है. इसकी वजह से जगदीश रैंप और संगम के बीच में जबरदस्त कटान हो रहा है, जिससे लोगो में चिंता बढ़ गई है.
वहीं संगम में डुबकी लगाने आए एक श्रद्धालु बताते हैं कि महाकुम्भ से पहले सरकार ड्रेजिंग कर गंगा का प्रवाह बदलना चाहती हैं. श्रद्धालु अपनी बात को आस्था से जोड़ते हुए बताते हैं कि सरकार की योजना पर काम शुरू होने से पहले गंगा वही काम कर रही है. हालांकि कटान को लेकर सिंचाई विभाग (बाढ़ प्रखंड) के इंजीनियर भी चिंतित हैं.
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माघ मेले की तैयारी को लेकर जिला प्रशासन के एक अधिकारी बताते हैं कि, गंगा में इस साल बाढ़ नहीं आई. गंगा का जलस्तर 82.50 मीटर भी नहीं पहुंचा, बावजूद इसके गंगा में 25 हजार क्यूसेक पानी प्रवाहित हो रहा है. अधिक जल होने की वजह से ही माघ मेले की तैयारी नहीं हो पा रही है. फिलहाल माघ मेला प्रशासन गंगा का प्रवाह 10 हजार क्यूसेक तक कम होने के लिए इंतजार कर रहा है. इस सम्बंध में माघ मेला अधिकारी दयानन्द प्रसाद ने मीडिया को बताया कि, मेला की तैयारी शुरू करने के लिए पानी कम होने का इंतजार किया जा रहा है.
वहीं अधिकारी ये भी बताते हैं कि, दशाश्वमेघ घाट पर भी संगम के पहले ही धारा तेज होती दिखाई दे रही है. घाट पर गंगा का ये प्रभाव दो साल से दिखाई दे रहा है. नागवासुकि मंदिर के सामने से प्रवाह बदलने के बाद से गंगा का दबाव इस घाट पर पड़ा है. इसी को देखते हुए इस घाट पर दो साल से स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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