देश

दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में आतंकी संगठन आईएसआईएस के सदस्य होने के दोषी की याचिका कर दी खारिज

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में आतंकी संगठन आईएसआईएस के सदस्य होने के दोषी की याचिका खारिज कर दी। दोषी ने उसे दो अलग-अलग मामलों में दी गई सजा को लगातार चलाने के बजाय एक साथ चलाने की मांग की थी।

यूएपीए के तहत दोषी ठहराया गया था

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ता मोहसिन इब्राहिम सैय्यद को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत दोषी ठहराया गया था और उसने आतंकवाद के अपराध में दोषी होने की दलील दी थी। उच्च न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि सर्वोच्च न्यायालय ने माना है कि समाज पर पड़ने वाले उनके प्रभाव के कारण नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस एक्ट) के मामलों में एक साथ सजा चलाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

कोर्ट ने कहा

कोर्ट ने कहा कि आतंकवाद के मामलों से और भी अधिक सख्ती से निपटा जाना चाहिए। न्यायालय ने कहा इस मामले में याचिकाकर्ता ने खुद ही यूएपीए के तहत लगाए गए आरोपों में खुद को दोषी माना था। उसने कुंभ मेले के दौरान हरिद्वार में आतंकवादी हमले करने की योजना बनाई थी और हिंदू महासभा के एक नेता की हत्या की साजिश रची थी। उसका मुख्य उद्देश्य देश में सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाना और उसे बाधित करना था। चूंकि सजा सुनाने के चरण में ट्रायल कोर्ट ने पहले ही नरम रुख अपनाया है, इसलिए मुंबई और दिल्ली में ट्रायल कोर्ट द्वारा उसे दी गई सजाओं को एक साथ चलाने की अनुमति देकर याचिकाकर्ता को कोई और नरमी नहीं दी जा सकती।

मामले में उसे आठ साल जेल की सजा सुनाई गई थी

सैयद को मुंबई और दिल्ली की ट्रायल कोर्ट ने यूएपीए और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत विभिन्न अपराधों के लिए दोषी ठहराया था। मुंबई कोर्ट ने उसे आईएसआईएस की गतिविधियों को बढ़ावा देने, फिदायीन बनने के लिए युवाओं की भर्ती करने और हिंदू महासभा के नेता कमलेश तिवारी की हत्या की योजना बनाने के लिए दोषी ठहराया था। इस मामले में उसे आठ साल जेल की सजा सुनाई गई थी। दिल्ली की निचली अदालत ने उसे अर्धकुंभ मेले के दौरान हरिद्वार शहर पर हमला करने की साजिश रचने और इसके लिए धन जुटाने का दोषी पाते हुए सात साल कैद की सजा सुनाई। सैयद ने दोनों मामलों में अपना दोष स्वीकार किया।

मामले पर विचार करने के बाद न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा कि मुंबई और दिल्ली दोनों की निचली अदालतों ने उसे आजीवन कारावास की सजा नहीं दी है जो उसके द्वारा दोषी ठहराए गए अपराधों के लिए अधिकतम सजा है, और अगर दोनों सजाएं एक साथ चलती हैं, तो उसे केवल आठ साल जेल में बिताने होंगे।
उन्होंने कहा कि दोषी द्वारा किए गए अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, अगर 15 साल की सजा एक साथ चलती है, तो कोई पूर्वाग्रह नहीं होगा।

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

Recent Posts

दिल्ली हाईकोर्ट ने RSS सदस्य शांतनु सिन्हा पर दर्ज मानहानि के मामले में BJP नेता अमित मालवीय को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

RSS सदस्य शांतनु सिन्हा द्वारा अमित मालवीय के खिलाफ ‘बंगाली’ में एक फेसबुक पोस्ट किया…

2 hours ago

अफगानिस्तान में महिलाएं क्यों नारकीय जीवन जीने के लिए अभिशप्त हैं?

महिलाओं के खिलाफ घिनौने कृत्य अनंत काल से होते आ रहे हैं और ये आज…

3 hours ago

दिल्ली हाईकोर्ट ने चांदनी चौक के आसपास के क्षेत्रों से अवैध गतिविधियों को हटाने का दिया निर्देश

पीठ चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल द्वारा दायर जनहित याचिका पर विचार कर रहा है,…

3 hours ago

PM Modi’s Gifts: Global Diplomacy में भारत की सांस्कृतिक धरोहर की झलक, राज्यों से भेजे गए ये उपहार

देश के विभिन्‍न राज्‍यों में तैयार किए गए गिफ्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं…

5 hours ago

जब एक हाथी को भीड़ के सामने दे दी गई थी फांसी, अमेरिका का ये काला इतिहास आपको झकझोर देगा

एक बेघर व्यक्ति को मारने के बदले में भीड़ ने तय किया कि हाथिनी मैरी…

6 hours ago