भारतीय कुश्ती महासंघ के नए अध्यक्ष बने संजय सिंह बबलू को निलंबित कर दिया गया है. इसके साथ ही कुश्ती संघ से जुड़ा कोई भी फैसला लेने पर भी पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. केंद्रीय खेल मंत्रालय ने नए कुश्ती महासंघ की नवनिर्वाचित पूरी संस्था को सस्पेंड किया है.
बता दें कि नवनिर्वाचित अध्यक्ष संजय सिंह ने इस साल के खत्म होने से पहले गोंडा के नंदिनी नगर में अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के कराए जाने की घोषणा की थी. जिसके बाद खेल मंत्रालय ने भारतीय कुश्ती महासंघ की नवनिर्वाचित संस्था को निलंबित कर दिया है.
खेल मंत्रालय ने कुश्ती महासंघ पर कार्रवाई करते हुए कहा है की ऐसा लगता है कि महासंघ की ओर से लिए जा रहे सभी फैसले पुराने पदाधिकारी ले रहे हैं. खेल मंत्रालय ने आगे कहा कि ” भारतीय कुश्ती महासंघ के नवनिर्वाचित कार्यकारी संस्था की तरफ से लिए गए सभी सभी फैसले नियमों के विरुद्ध हैं. ये WFI के प्रावधानों और नेशनल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट कोड का उल्लंघन करते हैं. इन फैसलों से अध्यक्ष की मनमानी दिखाई देती है, जो सिद्धांतों के खिलाफ भी है. खेल में पारदर्शिता और जवाहदेही तय करने के लिए नियमों का पालन बहुत जरूरी है. एथलीटों और जनता के बीच संस्था को लेकर भरोसा कायम करना बहुत जरूरी है.”
हाल ही में कुश्ती महासंघ ने घोषणा की थी, जिसमें 28 दिसंबर को यूपी के गोंडा में प्रतियोगिता शुरू होनी थी. इस घोषणा के बाद पहलवान साक्षी मलिक ने सवाल खड़े कर दिए थे. उन्होंने कहा था कि “मैंने कुश्ती छोड़ दी है, पर कल रात से परेशान हूं. वे जूनियर महिला पहलवान क्या करें, जो मुझे फोन करके बता रही हैं कि दीदी क28 दिसंबर से जूनियर नेशनल प्रतियोगिता होने वाली है और वो नई कुश्ती महासंघ ने इसे नंदिनी नगर में करवाने का फैसला किया है.”
वहीं सरकार के इस फैसले पर पहलवान विनेश फोगाट की प्रतिक्रिया सामने आई है. विनेश फोगाट ने कहा कि पहलवानों की लड़ाई कभी भी सरकार के साथ नहीं थी. उनकी लड़ाई बस इस बात को लेकर थी कि जिन्होंने खिलाड़ियों के साथ गलत किया है, उन्हें सजा मिले.
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साक्षी मलिक ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा था कि “गोंडा बृजभूषण सिंह का क्षेत्र है. अब आप सोच सकते हैं कि जूनियर महिला पहलवान किस माहौल में कुश्ती लड़ने वहां जाएंगी. क्या इस देश में नंदिनी नगर के अलावा कहीं और इस प्रतियोगिता को करवाने की जगह नहीं बची है.”
-भारत एक्सप्रेस
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