फोटो-सोशल मीडिया
Shankaracharya Avimukteshwaranand Saraswati: अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन से पहले विवाद लगातार जारी है. तो इसी बीच खबर सामने आ रही है कि, प्राण प्रतिष्ठा विधि, अधबने मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा और पीएम मोदी द्वारा किए जा रहे उद्घाटन को लेकर नाराज ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती अब राम मंदिर के उद्घाटन में जाने को तैयार हो गए हैं. हालांकि इसके लिए उन्होंने पीएम के सामने एक बड़ी शर्त रख दी है. उन्होंने मांग की है कि, अगर गाय माता का वध बंद करने के लिए कानून लाया जाए तो मैं राम मंदिर चला जाऊंगा.
मीडिया से बात करते हुए ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि, “प्रभु राम को लाने वाली गाय माता का ही आज वध किया जा रहा है. यह दुर्भाग्य की बात है कि इसे रोका नहीं जा पा रहा है. हम भगवान श्रीराम के सामने किस मुंह से खड़े होंगे. यह हमारी व्यक्तिगत भावना है कि गोहत्या को बंद कराया जाए और इसके लिए कानून लाया जाए. इसके बाद ही हम राम मंदिर में दर्शन करने जाएंगे.
आगे उन्होंने कहा, “विधि-विधान के साथ शिखर बनने के बाद रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हुई तो हम जरूर अयोध्या जाएंगे.” इसी के साथ ही उन्होने कहा कि, हम अपने प्रण की रक्षा करते हुए सारे कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे मगर भगवान के सामने नहीं जाएंगे. वह तब जाएंगे जब गोहत्या बंद हो जाएगी. अगर 22 जनवरी 2024 को ही कार्यक्रम करने की उनकी जिद है तब कम से कम गोहत्या की बंदी की घोषणा कर दी जाए. शंकराचार्य ने कहा, ” अगर पीएम मोदी ऐसा कर देते हैं तब भी हम भगवान से कहेंगे कि जो दोष हो रहा है, उसे लेकर इस एवज में कृपा कर दीजिए. गोहत्या बंदी बहुत बड़ा काम हो जाएगा.”
अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने मीडिया से बात करते हुए आगे कहा कि, “पीएम मोदी से हमारी किस चीज के लिए शत्रुता होगी? यह तो कोई जवाब न होने के चलते और हमारी आपत्तियों को खारिज न कर पाने की वजह से लोगों की तरफ से ऐसी बातें (एंटी-मोदी होने वाली) कही जा रही हैं. वह थोड़े हिम्मत वाले आदमी हैं और हमें ऐसा व्यक्ति अच्छा लगता है. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि, उनके हाथों अयोध्या में गलत काम कराया जा रहा है.” शंकराचार्य ने आगे कहा कि, हम नहीं चाहते कि पीएम मोदी के हाथ से कोई भी गलत काम हो. हम असल तौर पर उनके हितैषी हैं लेकिन राजनीतिक लोग तमगा लगा देते हैं. हम यही चाहते हैं कि वह सुशोभित रहें.
इसी के साथ ही शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर कहा कि, उनको प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर अभी इसलिए आपत्ति है, क्योंकि, अभी तक पूरा मंदिर नहीं बना है और इस स्थिति में वहां प्राण-प्रतिष्ठा करना ठीक नहीं है. शास्त्रों ने अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए मना किया है. मंदिर भगवान का शरीर होता है और शिखर सिर होता है. अभी वह बना ही नहीं है और ये लोग उसमें प्राण-प्रतिष्ठा कराने जा रहे हैं. वह आगे बोले कि, यह बिना सिर वाले धड़ जैसा काम हो जाएगा और शास्त्रों के लिहाज से यह ठीक नहीं है.
-भारत एक्सप्रेस
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