समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार (30 दिसंबर) को संभल पहुंचा और 24 नवंबर को हुई हिंसा में मारे गए प्रत्येक मृतक के परिजनों को 5 लाख रुपये मुआवजा देने के अखिलेश यादव के वादे को पूरा किया. इस हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई थी और 20 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. उत्तर प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय संभल में प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थे.
पिछले महीने नवंबर में एक स्थानीय अदालत द्वारा 500 साल पुरानी शाही जामा मस्जिद के धार्मिक चरित्र का पता लगाने के लिए पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश दिए जाने के बाद यहां व्यापक हिंसा हुई थी.
संभल पहुंचे प्रतिनिधिमंडल में समाजवादी पार्टी के कई विधायक और सांसद शामिल थे, जिनमें सांसद इकरा हसन, स्थानीय विधायक इकबाल महमूद और संभल सांसद जिया-उर-रहमान बर्क शामिल थे. संभल जाने से पहले माता प्रसाद पांडेय ने मीडिया से कहा कि समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने उनसे संभल में मारे गए प्रत्येक मृतक के परिजनों को 5 लाख रुपये देने को कहा है.
यह घटनाक्रम अखिलेश यादव द्वारा संभल हिंसा के पीड़ितों को मुआवजा देने के वादे के करीब एक महीने बाद हुआ है.
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से कहा था कि जब तक शाही जामा मस्जिद कमेटी का प्रतिनिधिमंडल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाकर मस्जिद परिसर में सर्वेक्षण करने के फैसले को चुनौती नहीं देता, तब तक वह कार्यवाही को आगे न बढ़ाए. सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद की सर्वेक्षण रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखने का निर्देश दिया है. इस बीच, कोर्ट द्वारा नियुक्त आयुक्त ने कहा है कि पुरातात्विक सर्वेक्षण लगभग तैयार है और 2 या 3 जनवरी से पहले इसे दाखिल कर दिया जाएगा.
वहीं रविवार को अखिलेश यादव ने राज्य में चल रहे उत्खनन कार्य को लेकर योगी आदित्यनाथ पर कटाक्ष किया और कहा कि मुख्यमंत्री के आवास पर भी शिवलिंग मौजूद हो सकता है.
इस महीने की शुरुआत में संभल का दौरा करने वाले प्रतिनिधिमंडल के सदस्य सांसद बर्क, जो संभल हिंसा में आरोपी बनाए गए हैं, ने गिरफ्तारी से बचने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया था. अपनी याचिका में सांसद बर्क ने अदालत से उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करने का भी अनुरोध किया था, उन्होंने अपने खिलाफ आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया था.
पुलिस ने दावा किया है कि समाजवादी पार्टी के सांसद ने घटना से कुछ दिन पहले मस्जिद का दौरा किया था, उन पर भड़काऊ भाषणों के जरिए तनाव फैलाने का आरोप लगाया. पुलिस द्वारा किए गए दावों का खंडन करते हुए बर्क ने कहा कि वह घटना के समय बेंगलुरु में थे और संभल हिंसा के सिलसिले में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर के बारे में जानने के बाद उन्होंने दिल्ली में रहने का फैसला किया.
-भारत एक्सप्रेस
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