Supreme Court: केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) की उन सिफारिशों को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है जिसमें एक मॉड्यूल बनाना शामिल है. इस मॉड्यूल में पेडों की कटाई की आवश्यकता वाली परियोजनाओं का विवरण, काटे जाने वाले या स्थानांतरित किए जाने वाले पेड़ो की संख्या और दिल्ली में घटते हरित क्षेत्र से निपटने के लिए प्रतिपूरक पौधरोपण शामिल है. सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में हरित क्षेत्र को बढ़ाने और इसके बाद एक तंत्र बनाने से संबंधित मामले में सुनवाई कर रहा था.
जस्टिस एएस ओका और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने सीईसी की रिपोर्ट को लेकर कहा कि हम सिफारिशों को स्वीकार करते हुए सीईसी को कार्रवाई करने का निर्देश देते हैं. कोर्ट ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं और दिल्ली सरकार ने वृक्ष प्राधिकरण की शक्तियों का प्रयोग बंद कर दिया है. पहले सरकार इसकी शक्ति का प्रयोग कर रही थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि परियोजना प्रस्तावक आवंटित छूट अवधि के बाद भी शर्तो का पालन करने में विफल रहते हैं तो सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ उपयुक्त दंडात्मक कार्रवाई कर सकता है.
कोर्ट ने कहा कि सीईसी ने 15 ऐसे मामले बताए है, जिनमें न्यायालय ने विभिन्न शर्तो के अनुपालन के अधीन पेड़ो की कटाई की अनुमति दी है. हालांकि शर्तो का अनुपालन नही किया गया है. कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि अदालत को विश्वास हो गया कि परियोजना प्रस्तावक तीन महीने के भीतर अनुपालन संबंधी आंकड़ा अपलोड करने में विफल रहा है तो उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाएगी. राजधानी दिल्ली में रिज दिल्ली में अरावली रेंज का विस्तार है. यह चार जोन में है. इन चारों जोन में कुल एरिया 7784 हेक्टेयर है.
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