Tax on Mineral Rich Land: राज्य खनिज संपदा वाली जमीन पर टैक्स लगा सकते हैं या नहीं इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की संविधान पीठ ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने 8:1 के बहुमत से खनिज-युक्त भूमि पर कर लगाने की राज्यों की शक्ति को बरकरार रखा है. सीजेआई ने कहा कि जब तक संसद कोई सीमा नहीं लगाती, खनिज अधिकारों पर कर लगाने का राज्य का पूर्ण अधिकार अप्रभावित रहेगा. वहीं, जस्टिस बी वी नागरत्ना ने बहुमत के फैसले से असहमति जताई है.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा लिखित और जस्टिस हृषिकेश रॉय, ए एस ओका, जे बी पारदीवाला, मनोज मिश्रा, उज्ज्वल भुयान, एस सी शर्मा और ए जी मसीह द्वारा सहमति व्यक्त की है. इस फैसले में कहा गया है कि निकाले गए खनिजों पर रॉयल्टी कर नहीं है. सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की संविधान पीठ 31 जुलाई को फिर से विचार करेगी कि उनका फैसला पूर्वव्यापी होगा या नहीं. अगर यह फैसला पूर्वव्यापी लागू होता है तो राज्यों को भारी कर बकाया देना पड़ सकता है. राज्य चाहते हैं कि यह फैसला पूर्वव्यापी रूप से लागू हो, जबकि केंद्र सरकार इसे भविष्य के लिए लागू करना चाहती है. यह मामला पिछले 25 साल से कोर्ट में लंबित था.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, असम, छतीसगढ़, मध्यप्रदेश और उत्तर पूर्व के खनिज समृद्ध राज्यों के लिए बड़ी राहत है. सुप्रीम कोर्ट ने 14 मार्च को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. संविधान पीठ ने राज्यों के टैक्स लगाने के अधिकार से जुड़ी 85 याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह फैसला दिया है. ये मामला 2011 में 9 जजों की बेंच को भेजा गया था. क्योंकि, इस मामले में पांच और सात जजों के संविधान पीठ के बीच विरोधाभास था. मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर राज्य सरकारों द्वारा खनिज पर रॉयल्टी से अधिक टैक्स लगाने का विरोध किया है.
केंद्र सरकार ने अदालत से राज्यों द्वारा रॉयल्टी से अधिक टैक्स लगाने का अनुमति जा देने को कहा है. सरकार ने कोर्ट से कहा था कि खनिज समृद्ध राज्यों द्वारा लगाए गए टैक्स से मुद्रास्फीति बढ़ेगी. खनन के क्षेत्र में FDI में बाधा आएगा. भारतीय खनिज महंगा हो जाएगा. खनिज अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे बिजली, स्टील, सीमेंट, एल्युमिनियम आदि के लिए महत्वपूर्ण कच्चा माल है, इसलिए कीमतों में कोई वही वृद्धि राज्यों द्वारा लगाए गए अतिरिक्त उपकर के कारण ये खनिज देश मे मुद्रास्फीति को बढ़ावा देंगे.
बता दें कि 78 % कोयला संसाधन ओडिशा, झारखंड, छतीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में केंद्रित. भारत का 55 % वाणिज्यिक ऊर्जा उत्पादन कोयले का 68 % बिजली उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है. हलफनामा में यह भी कहा गया है कि देश भर में सुव्यवस्थित और न्यायसंगत तरीके से विकास को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिस्पर्धी कीमतों पर देश भर में खनिज आधारित कच्चे माल की उपलब्धता आवश्यक है, जिसमें कुछ राज्यों में संसाधन व खनिज की एकाग्रता के प्रभावों को विधायी रूप से संबोधित करना शामिल है.
हलफनामा में यह भी कहा गया है कि एक गैर सामंजस्यपूर्ण राजकोषीय व्यवस्था, कम खनिज संपन्न राज्यों को खनिज समृद्ध राज्यों से उच्च कीमतों पर कच्चे माल की खरीद करने के लिए मजबूर करेगी. केंद्र द्वारा निर्धारित रॉयल्टी की एक समान लेवी खेल के मैदान को समतल करती है, जिससे देश भर में घरेलू उद्योग को न्यायसंगत तरीके से बढ़ावा मिलता है. रॉयल्टी खनिजों की अंतरराष्ट्रीय कीमत को ध्यान में रखते हुए तय की जाती है, ताकि निर्यात को बढ़ावा देने और व्यापार घाटे को कम करने के लिए इनकी लागत और ऐसे खनिजों का उपयोग करके तैयार उत्पाद को अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी रखा जा सके.
-भारत एक्सप्रेस
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