आदेशों का उल्लंघन कर पेड़ों की कटाई के मामले में दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) की ओर से दाखिल हलफनामे पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. अदालत ने हलफनामे को देखने के बाद यहां तक कह दिया कि अब वह डीडीए पर भरोसा नहीं कर सकता है. डीडीए के उपाध्यक्ष शुभाशीष पांडा ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि सतबरी में दिल्ली रिज क्षेत्र में 642 पेड़ बिना उनकी जानकारी के काट दिए गए, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है.
जस्टिस एएस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है. कोर्ट ने कहा कि जहां भी पेड़ काटे गए हैं, वहां जमीन बहाल करनी होगी. इसे समयबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए. अदालत ने अटॉर्नी जनरल को डीडीए के उपाध्यक्ष पांडा की ओर से पेश होने के लिए कहा है.
कोर्ट ने अपने आदेश मे कहा है कि अगर वृक्षारोपण और रखरखाव का कार्य नीरा जैसी किसी स्वतंत्र एजेंसी को सौंपा जा सकता है तो निर्देश लें. हम इन टाल मटोल वाले जवाबों को स्वीकार नहीं करेंगे.
कोर्ट ने कहा कि हम डीडीए उपाध्यक्ष के खिलाफ कठोर कदम उठाने से संकोच नहीं करेंगे. उपाध्यक्ष पांडा ने हलफनामे में स्वीकार किया है कि छतरपुर से सार्क विश्वविद्यालय और अन्य सड़क के चौड़ीकरण के लिए मैदान गढ़ी और सतबरी रिज क्षेत्र में 642 पेड़ काटे गए थे. इनमें से 668 पेड़ वन भूमि में, जबकि 174 पेड़ डीडीए या गैर वन भूमि में थे.
इससे पहले 4 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों को काटने के लिए डीडीए के आवेदन को खारिज कर दिया था. पांडा ने कहा था कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि फील्ड स्टाफ ने कटिंग करते समय क्या गलती की है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट बिंदू कपूरिया की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है.
-भारत एक्सप्रेस
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