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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के सक्सेना और डीडीए के उपाध्यक्ष सुभाशीष पांडा से हलफनामा देने को कहा है. साथ ही कोर्ट ने इस मामले से संबंधित असली दस्तावेज तलब किया है.

दिल्ली की आप सरकार ने फैसला लिया है कि इन 1731 कच्ची कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को बिजली कनेक्शन और मीटर के लिए किसी भी तरह की एनओसी की जरूरत नहीं होगी.

एनजीटी ने सवाल उठाया कि DDA ने 4 अनाधिकृत कालोनियों के लिए DGB के आग्रह पर सीवर लाइन बिछाने का NOC दे दिया है, क्या इससे अनाधिकृत कालोनियों में बसने के लिए प्रोत्साहन नहीं दिया जा रहा है.

दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है.

अदालत नई दिल्ली नेचर सोसाइटी द्वारा स्थानांतरण पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि हिरणों को अधिकारियों द्वारा बिना किसी पूर्व स्वास्थ्य जांच के जानवरों के स्वास्थ्य, उम्र और शारीरिक स्थिति के बारे में विवेक का प्रयोग किए ट्रकों में लोड किया जा रहा था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब हमें बताएं कि उपराज्यपाल द्वारा अनुमति दिए जाने के बाद, क्या डीडीए के अधिकारियों ने उपराज्यपाल को सूचित किया कि अदालत की अनुमति नहीं है?

अदालत ने नोडल अधिकारी भी नियुक्त किया है. जो एमसीडी, दिल्ली पुलिस, डीएमआरसी, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग, पीडब्ल्यूडी, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और वन विभाग के अधिकारियों के साथ समन्वय करेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने DDA को दिया निर्देश दिया कि वर्तमान और भविष्य में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बिना पेड़ों की कटाई नही होगी।

न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने कहा कि फुटपाथों पर अतिक्रमण के कारण लोग सड़कों पर चलने को मजबूर हो रहे हैं, जिससे उनकी जान को खतरा हो रहा है।

अदालत ने कहा कि डीडीए को अनधिकृत निर्माण को ध्वस्त करने की पूरी स्वतंत्रता होगी और याचिकाकर्ता सोसायटी तथा उसके सदस्य इस ध्वस्तीकरण प्रक्रिया में कोई बाधा या रुकावट पैदा नहीं करेंगे.