सेना में ब्रिगेडियर रैंक में पदोन्नति में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सेना में अधिकारियों के प्रमोशन से जुड़ी कार्रवाई से हम संतुष्ट हैं. सेना के इस कदम से अदालत के अवमानना का मामला नहीं बनता है.
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा सेना कोर्ट का आदेश नहीं मान रही
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हुफेजा अहमदी ने कहा कि अदालत का आदेश न मानकर सेना अवमानना कर रही है. वही केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल ने कहा कि जब तक सेना में कार्यरत अधिकारियों की तुलना नहीं होगी, तब तक उनकी योग्यताओं का विश्लेषण नहीं किया जा सकता और बिना योग्यता के उन्हें पद्दोन्नति नही दी जा सकती है.
यह कोई कर्नल का टाइम स्केल है क्या?
हुफेजा अहमदी ने कहा कि उनके पास विश्लेषण चयन बोर्ड है तो आपके पास बिना पैनल के लोग भी है. तब सीजेआई ने कहा कि यह कोई कर्नल का टाइम स्केल है क्या, बिना बेंच मार्किंग के यह कैसे तय किया जा सकता है.
बता दें कि यह याचिका महिला अधिकारियों की ओर से दायर की गई है. गौरतलब है कि सेना में कार्यरत 30 से अधिक कर्नल रैंक की महिला अधिकारियों ने याचिका दाखिल कर लिंग के आधार पर भेदभाव का आरोप लगाया है. याचिका में महिला अधिकारियों ने यह भी कहा है कि सेना सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का अवहेलना कर रही है. यह अवमानना का मामला बनता है.
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