नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस आदेश पर नाराजगी जताई जिसमें 70 वर्षीय बीमार व्यक्ति की सजा को निलंबित करने की याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए लापरवाही बरतने का आरोप लगाया गया था. याचिकाकर्ता को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निश्चित अवधि की सजा के मामलों में सजा को निलंबित करने की याचिका पर हाई कोर्ट को उदारता से विचार किया जाना चाहिए, जब तक कि कोई असाधारण परिस्थिति उत्पन्न न हो.
कोर्ट ने कहा कि कानून में यह स्पष्ट है कि यदि ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई सजा एक निश्चित अवधि के लिए है, तो आम तौर पर अपीलीय अदालत को सजा के निलंबन की याचिका पर उदारतापूर्वक विचार करना चाहिए, जब तक कि मामले के रिकॉर्ड से ऐसी राहत को अस्वीकार करने के लिए कोई असाधारण परिस्थितियाँ सामने न आएं. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने विवादित आदेश में ऐसा कुछ भी नहीं देखा है कि सजा के निलंबन की याचिका को अस्वीकार क्यों किया जाना चाहिए.
हाई कोर्ट ने किसी भी असाधारण परिस्थिति के बारे में कुछ नहीं कहा है. सुप्रीम कोर्ट 70 वर्षीय व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसकी दृष्टि लगभग 90% चली गई है. याचिकाकर्ता को भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471, 120-बी और 201 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था. याचिकाकर्ता भूरेलाल ने उस पर लगाए गए कुल चार वर्षों के कठोर दंड में से दो वर्ष की सजा काट ली है. उसने सजा के निलंबन के लिए अपील लंबित रहने तक याचिका दायर की. हालांकि, हाई कोर्ट द्वारा सजा के निलंबन की याचिका खारिज कर दी गई.
-भारत एक्सप्रेस
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