सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें उत्तर प्रदेश के वित्त सचिव एस.एम.ए. रिजवी और विशेष वित्त सचिव सरयू प्रसाद मिश्रा को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया गया था. दोनों अधिकारियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश का पालन न करने के लिए गिरफ्तार किया गया था.
अदालत ने दोनों अधिकारियों को हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की सुविधा बढ़ाने संबंधी प्रस्तावित कानून को एक सप्ताह के भीतर लागू करने का निर्देश दिया था.
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने हिरासत में लिए गए अधिकारियों को रिहा करने का आदेश दिया. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज ने तत्काल सुनवाई के लिए मामले का उल्लेख किया था. मामले में तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए नटराज ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि दोनों अधिकारी इस समय हिरासत में हैं.
शीर्ष अदालत ने मामले में नोटिस जारी किया और कहा कि सुनवाई की अगली तारीख तक हाईकोर्ट के डिविजन बेंच के आदेश पर रोक रहेगी. उसने आगे कहा कि यूपी सरकार के अधिकारियों को तुरंत रिहा किया जाए. शीर्ष अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई अगले सप्ताह के लिए निर्धारित की है.
हाईकोर्ट के निर्देश में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को घरेलू सेवक प्रदान करने का प्रावधान भी शामिल था. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अधिकारियों ने तथ्यों को छुपाकर और अदालत को गुमराह कर उसकी अवमानना की है. आरोप तय करने के लिए दोनों अधिकारियों को गुरुवार को अदालत में पेश करने का भी निर्देश दिया.
हाईकोर्ट ने कहा, तथ्यों को छिपाने और अदालत को गुमराह करने वाले अधिकारियों के आचरण ने प्रथम अदालत की आपराधिक अवमानना की है.
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