Supreme Court Reject homosexual relations Petition: समलैंगिक संबंधों के मामले में 2013 के फैसले के खिलाफ दायर क्यूरेटिव पिटीशन को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दिया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह याचिका 2018 में दिए गए फैसल के बाद खारिज हो गई. बता दें कि 2018 में पांच जजों की पीठ ने धारा 377 के एक हिस्से को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है.
दरअसल इस मामले की शुरुआत 2009 में हुई. जब दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में निजी तौर पर सहमति से बनाए गए समलैंगिक यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से हटा दिया था. इसके बाद 2013 में दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट के 2 जजों की पीठ ने खारिज कर दिया था. इसके बाद इस फैसले के खिलाफ क्यूरेटिव पिटीशन सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी.
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पांच जजों की पीठ ने गुरुवार का फैसला सुनाते हुए कहा कि नवतेज सिंह जौहर मामले के बाद समलैंगिक संबंधों से जुड़ी क्यूरेटिव पिटीशन 2018 के फैसले के बाद स्वतः ही निरर्थक हो गई है. बता दें कि सबसे पहले एक एनजीओ नाज फाउंडेशन ने 2001 में दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सहमति से समलैंगिक वयस्कों के बीच यौन संबंध को वैध बनाने की मांग रखी थी. जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था.
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