उत्तराखंड के नैनीताल जिले के हल्द्वानी में बृहस्पतिवार को अवैध मदरसा और नमाज स्थल के ध्वस्तीकरण के दौरान भड़की हिंसा ने विकराल रूप ले लिया है. हल्द्वानी में गुरुवार को हालात इतने बिगड़ गए कि पुलिस को इलाके में कर्फ्यू लगाना पड़ा और दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी कर दिए गए. इस हिंसा में अभी तक 2 लोगों की मौत हो गई है और 100 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. घायल पुलिसकर्मियों को एबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया गया है और उनकी हालत खतरे से बाहर है. अस्पताल में भर्ती कराए गए लगभग 100 से अधिक लोगों में से अधिकांश पुलिसकर्मी और नगरपालिका कर्मचारी हैं.
यूपी में अलर्ट
हल्द्वानी की घटना के बाद यूपी में अलर्ट घोषित किया गया है. डीजीपी प्रशांत कुमार ने उत्तराखंड से सटे सभी जिलों को हाई अलर्ट पर रहने के आदेश दिए हैं. साथ ही उत्तराखंड से आने वाले वाहनों और लोगों की चेकिंग करने को कहा गया है. फिलहाल, बनभूलपुरा इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया है. इंटरनेट और मोबाइल सेवा बंद है. स्कूल-कॉलेज भी बंद कर दिए गए हैं. उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया है.
ऐसा बढ़ा मामला
पुलिस प्रशासन की टीम हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में ‘अवैध’ रूप से निर्मित मदरसा एवं मस्जिद को हटाने गई थी. जैसे ही कार्रवाई शुरू हुई, बड़ी संख्या में महिलाओं सहित गुस्साए स्थानीय निवासी कार्रवाई का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर आए. जिस समय जेसीबी का एक्शन चल रहा था तो उसी दौरान भीड़ हिंसक हो गई और नारेबाजी करने के बाद पथराव करने लगी. देखते ही देखते पूरे क्षेत्र में हालात तनावपूर्ण हो गए. बुलडोजर चलाने पहुंचे प्रशासन पर उपद्रवियों ने जमकर पथराव किया. पुलिस ने आक्रोशित लोगों को शांत करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे, लाठीचार्ज किया तो बवाल और बढ़ गया. इसके बाद रामनगर से अतिरिक्त फोर्स बुलाई गई और बनभूलपुरा थाने पहुंचने के बाद पुलिस ने फिर मोर्चा संभाल लिया. बवाल करने वालों ने थाने में आगजनी की और दर्जनों गाड़ियों को फूंक दिया.
एक नजर पूरे घटना क्रम पर
8 फरवरी गुरुवार को दोपहर 1:30 बजेः हाईकोर्ट के आदेश के बाद दोपहर 1:30-2:00 बजे एसडीएम और नगर निगम अधिकारी के साथ पुलिस टीम अवैध मदरसों को तोड़ने गई थी. तकरीबन 3 बजे: अतिक्रमण हटाने के लिए बनभूलपुरा थाने के पास टीमें जुटने लगी.
4:23 बजे: टीम पुलिस फोर्स के साथ रवाना हुई.
4:30 बजे: टीम मलिक के बगीचे में पहुंची.
4:40 बजे: लोग अतिक्रमण स्थल पर जुटने लगे.
4:42 बजे: लोगों ने विरोध शुरू किया.
4:44 बजे: लोगों ने पुलिस द्वारा लगाई बैरिकेटिंग हटाना शुरू कर दिया.
4:51 बजे: अराजक तत्त्वों ने जेसीबी रोकी.
4:55 बजे: हंगामा शुरू हुआ और पत्थर बाजी हुई.
5:17 बजे: अतिक्रमण तोड़न की कार्रवाई शरू की.
5:20 बजे: लोगों ने जेसीबी तोड़ी.
5:24 बजे: पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आसू गैस के गोले दागे.
5:35 बजे: उपद्रवियों ने वाहनों में आग लगाई.
5:54 बजे: पुलिसकर्मी घायल हुए.
6:30 बजे: उपद्रवियों ने थाना फूंका.
7:00 बजे: घायल पुलिसकर्मियों को अस्पताल भेजा.
7:30 बजे: सीएम ने बैठकर कर उपद्रवियों को गोली मारने के आदेश दिए.
7:48 बजे: शहर में कर्फ्यू का आदेश जारी हुआ.
7:55 बजे: उधमसिंह नगर से और फोर्स हल्द्वानी पहुंची.
8:00 बजे: इंटरनेट सेवा बंद की गई.
कैसे शुरू हुई हिंसा?
जैसे ही नगर निगम की टीम ने मदरसे और मस्जिद पर अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई शुरू की तो महिलाएं और स्थानीय निवासियों की गुस्साई भीड़ विरोध में सड़क पर उतर गई और पुलिसकर्मियों के साथ उनकी बहस हो गई. फिर नारेबाजी हुई और टीम पर पत्थर फेंकने शुरू कर दिए. देखते ही देखते स्थिति तनावपूर्ण हो गई और दंगे शुरू हो गए.
इलाके में कर्फ्यू
बवाल के बाद अब पूरे इलाके में कर्फ्यू लगाया गया है और उपद्रवियों पर एक्शन लिया जा रहा है. प्रशासन और सरकार दावा कर रहे हैं कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही अतिक्रमण को हटाने का काम किया गया. कांग्रेस ने कहा कि दोनों पक्षों को धैर्य से काम लेना चाहिए था. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राजधानी देहरादून में हाईवेल मीटिंग बुलाई और हालात की समीक्षा की. इस बैठक में तय किया गया कि दंगाइयों को देखते ही गोली मार दिया जाएगा.उन्होंने अराजक तत्वों से सख्ती से निपटने के लिये अधिकारियों को निर्देश दिए.
नैनीताल की जिला मजिस्ट्रेट वंदना ने कहा कि कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए हल्द्वानी में कर्फ्यू लगाया गया है, जबकि शहर में इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित कर दी गई हैं, साथ ही क्षेत्र में स्कूलों को बंद रखने का आदेश भी जारी किया गया है. कोई भी शख्स अत्यावश्यक कार्यों (मेडिकल इत्यादि) को छोड़कर घर से बाहर नहीं निकलेगा.
नैनीताल की जिलाधिकारी ने बताया कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. हमारे पास वीडियो रिकॉर्डिंग से लेकर दंगाइयों के अनेक इनपुट हैं, उन सबको एकत्र किया जा रहा है. नुकसान की भरपाई उन्हीं दंगाइयों के द्वारा की जाएगी. जानकारी जुटाने के लिए दंगाइयों के पोस्टर भी जारी किए जाएंगे. पुलिस और प्रशासन ने धैर्य का परिचय दिया है. अवैध अतिक्रमण पर हमारा अभियान रुकने वाला नहीं है.
उठ रहा है सवाल – कार्रवाई से पहले सर्वे क्यों नहीं?
मलिक का बगीचा में बने अवैध मदरसे और धर्म स्थल को तोड़ने के लिए नगर निगम, प्रशासन और पुलिस की टीम क्षेत्र में बिना हवाई सर्वे के ही घुस गई. बीते चार फरवरी के विरोध के बावजूद पुलिस, प्रशासन और नगर निगम की टीम ने मामले को हल्के में ले लिया. कई मौकों पर ड्रोन से निगरानी करने वाले पुलिस प्रशासन कार्रवाई से पहले हवाई सर्वे तक नहीं करा पाया.
तंग गलियों का चक्रव्यूह समझने में चूक गई पुलिस
हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में सरकारी जमीन पर मलिक का बगीचा क्षेत्र में अवैध कब्जा ढहाने की पुलिस, प्रशासन ने योजना तो बना ली, लेकिन इलाके की तंग गलियों का चक्रव्यूह समझने में चूक गई. यही भूल, उसके लिए आत्मघाती साबित हुई. यही नहीं क्षेत्र में अतिक्रमण वाली जगह के चारों ओर बस्ती बसी है. यहां दो से तीन मंजिला मकान बने हैं, जिनकी गिनती हजारों में है. पुलिस-प्रशासन टीम पर सामने से उपद्रवियों के पथराव करते ही छतों से पत्थरों की बारिश होने लगी. प्रशासन ने पुलिस के जोर से काम निकालने की कोशिश जरूर की, लेकिन उपद्रवी इतने उग्र हो गए, मानों जान लेने पर तुले हों. पत्थरबाजी के साथ उनके रौद्र रूप ने पुलिस फोर्स, प्रशासन और नगर निगम की टीम को वापस लौटने पर मजबूर कर दिया.
उपद्रवियों और हमलावरों ने तंग रास्तों का उठाया फायदा
अतिक्रमण तोड़ने का जिस जगह पर काम हुआ, वहां जाने का एक ही रास्ता, वह भी महज 10 फुट चौड़ा है। इसके चारों ओर घनी आबादी है, जहां छोटी-छोटी गलियां हैं। जैसे ही टीम पहुंची, मुख्य मार्ग पर बवाल शुरू हो गया। टीम के अंदर घुसने के बाद चारों ओर से विरोध तेज हो गया. इलाके में पांच से अधिक गलियां हैं, जो काफी तंग हैं और किस गली से कब पत्थर आ रहा था, किसी को अंदाजा ही नहीं लग रहा था. यही वजह रही कि बड़ी संख्या में पुलिस कर्मी और निगम कर्मी घायल हुए.
दूसरे जिलों से आई पुलिस को नहीं था हालात का अंदाजा
बनभूलपुरा की गलियों में उपद्रवियों को खदेड़ने के लिए अंदर घुस रही पुलिस फोर्स उनके ही जाल में फंसती नजर आई. घरों की छतों से पुलिसकर्मियों पर लगातार पथराव होता रहा। बमुश्किल गलियों से बचते-बचाते पुलिसकर्मी किसी तरह मुख्य सड़क पर आ सके. जानकारों की मानें तो बनभूलपुरा में भेजी गई पुलिस फोर्स दूसरे जिलों या अन्य थानों से आई थी जिन्हें इस इलाके का अंदाजा तक नहीं था. अधिकारियों के आदेश का पालन पूरा करने के लिए फोर्स अंदर तो घुस गई, लेकिन वह चक्रव्यूह में फंस गई, जिस कारण जान भी सांसत में आ गई.
हाईकोर्ट ने दिया था अतिक्रमण हटाने का आदेश
सारा बवाल एक मदरसे और नमाज स्थल के खिलाफ नगर निगम की कार्रवाई के बाद हुआ. प्रशासन के मुताबिक, मदरसा अवैध था 30 जनवरी को नगर निगम ने ढहाने का नोटिस दिया था. तीन एकड जमीन का कब्जा निगम ने पहले ही ले लिया था. मदरसा और नमाज स्थल भी सील कर दिया गया था. मदरसा चलाने वाली संस्था हाईकोर्ट गई थी लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद एक बजे अवैध मदरसा ढहाने की कार्रवाई शुरू की गई.
हाईकोर्ट ने मस्जिद और मदरसा हटाने का आदेश क्यों दिया?
डीएम वंदना सिंह ने बताया कि हाई कोर्ट ने हल्द्वानी में अवैध निर्माणों को हटाने के निर्देश दिए थे. यह मदरसा और मस्जिद बनभूलपुरा क्षेत्र में तीन एकड़ जमीन पर अवैध तरीके से बनाए गए थे. प्रशासन ने बताया कि 30 जनवरी को नगर निगम ने इसे ढहाने का नोटिस दिया था और इस जमीन को नगर निगम ने पहले ही अपने कब्जे में लेकर इसको सील कर दिया था. वहीं नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रह्लाद मीणा ने बताया कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई अदालत के आदेश के अनुपालन में की गई है.
किसकी जमीन पर बने हैं मदरसा और मस्जिद?
वंदना सिंह ने बताया कि ये एक खाली संपत्ति थी, जिस पर दो इमारतें बनी हुई थीं. कुछ लोग इन्हें मदरसा और नमाज स्थल कहते हैं, लेकिन ये धार्मिक संरचना के तौर पर रजिस्टर्ड नहीं हैं. ना ही इन्हें ऐसी कोई मान्यता है. उन्होंने बताया कि लोग इसे मलिक के बगीचे के तौर पर जानते हैं, लेकिन कागजों में इस बात कोई रिकॉर्ड नहीं है.
कितने दिन से चल रही थी हल्द्वानी के मदरसे और मस्जिद को हटाने की कार्रवाई?
वंदना सिंह ने बताया कि 30 जनवरी को इन इमारतों को हटाने का निर्देश दिया गया और इन पर नोटिस लगाया गया था कि तीन दिन के अंदर इन्हें खाली कर दें. इन्हें हटाया जाना है.
किसने क्या कहा?
-उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा, “सब व्यवस्थित है चाक चौबंद है, कहीं कोई दिक्कत नहीं है. हर स्थिति के लिए हम तैयारी हैं.”
-यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, “ये चिंताजनक है लेकिन उत्तराखंड सरकार और वहां की पुलिस प्रशासन स्थिति को संभाल लेगा और जो दोषी होंगे उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.”
-पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा, “हमेशा से शांत और आगे बढ़ती हुई हल्द्वानी आज अगर उबाल रहा है, तो ये चिंता का विषय है. हल्द्वानी हम सबका अभिमान है, हमारी शान है, उत्तराखंड की शान है, हमारी कॉमर्शियल कैपिटल है. मैं सभी लोगों से प्रार्थना करना चाहूंगा कि शांति-सौहार्द बनाए रखने में सहयोग करें और शांति लाएं. किसी तरह की उत्तेजक गतिविधि से हर व्यक्ति परहेज करें. प्रशासन भी और जनता भी शांति की तरफ आगे बढे.”
-सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनभूलपूरा इलाके में नगर निगम ने पहले मदरसा और मस्जिद ढहाया फिर महिलाओ पर पुलिस द्वारा बर्बर लाठी चार्ज किया, जो भाजपा सरकार की गंदी सोच को दर्शाती है. भाजपा सरकार खुद अपने दामन में झांककर देखे कि प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा दिये गये नारे “सबका साथ-सबका विकास” का खुलेआम कत्लेआम कर रहें हैं. आखिर धीरे-धीरे भाजपा की नफरती सोंच की झलक दिखने ही लगी है. उत्तराखंड सरकार के इस कुकृत्य की घोर निंदा करता हूँ.
-केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, “किसी को भी अपने हाथ में कानून लेना का अधिकार नहीं है चाहे धार्मिक स्थिति हो या कोई और कारण हो. उत्तराखंड में उत्तराखंड की सरकार सक्षम है, अगर कोई कानून हाथ में लेगा तो उससे निपटने की तैयारी भी सरकार ने कर ली है.”
-भारत एक्सप्रेस
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