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Supreme Court ने उत्तराखंड सीएम को फटकार लगाते हुए क्यों कहा कि ‘यह सामंती युग नहीं कि राजा जैसा बोले वैसा हो’

सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार (4 सितंबर) को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के IFS अधिकारी राहुल को पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील राजाजी टाइगर रिजर्व का फील्ड निदेशक नियुक्त करने के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई. उन्होंने नियुक्ति को लेकर प्रमुख सचिव और वन मंत्री की आपत्तियों को खारिज कर दिया था.

ये सामंती युग नहीं

वरिष्ठ अधिवक्ता एएनएस नादकर्णी ने कहा कि सीएम केवल एक ‘अच्छे अधिकारी’ की बलि नहीं चढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके बाद तीन न्यायाधीशों की पीठ की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि धामी को कम से कम अपने अधिकारियों द्वारा उठाई गईं आपत्तियों से असहमति के कारणों को दर्ज करना चाहिए था. न्यायाधीश ने कहा, ‘हम सामंती युग में नहीं हैं कि राजा जैसे बोले वैसा हो.’

पीठ ने कहा कि इस देश मे सार्वजनिक विश्वास जैसी कोई चीज है, कार्यपालिका के प्रमुखों से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वे पुराने जमाने के राजा हैं कि वे जो कहेंगे, वही करेंगे. यह सामंती युग में नहीं है, सिर्फ इसलिए कि वह मुख्यमंत्री हैं, क्या वह कुछ भी कर सकते हैं.

अधिकारी से विशेष लगाव क्यों?

जस्टिस गवई ने पूछा, ‘जब पहले अधिकारी यानी अनुभाग अधिकारी से ही एक विशिष्ट नोटिंग होती है, उप-सचिव द्वारा समर्थित, प्रधान सचिव द्वारा समर्थित, माननीय मंत्री द्वारा समर्थित कि इन कारणों से उन्हें (आईएफएस राहुल) वहां तैनात नहीं किया जाना चाहिए, तो आपको लगता है कि इसके बावजूद सिर्फ इसलिए कि वे मुख्यमंत्री हैं, वे कुछ भी कर सकते हैं?’

कोर्ट ने पूछा कि इस अधिकारी से राज्य सरकार का विशेष लगाव क्यों है? राहुल को पहले कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से अवैध पेड़ काटने के आरोपों के हटा दिया गया था. उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही अभी लंबित है.


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आपत्ति को सीएम ने अनदेखा किया

पीठ ने आगे कहा, ‘एक खास नोट है कि उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू की गई है, सीबीआई जांच चल रही है और इसलिए उन्हें टाइगर रिजर्व में कहीं भी तैनात नहीं किया जाना चाहिए. इसका समर्थन उप सचिव, प्रधान सचिव और वन मंत्री ने किया है और यह सब मुख्यमंत्री द्वारा अनदेखा किया गया है!’

अदालत ने कहा कि अगर प्रमुख सचिव, उप-सचिव और राज्य के वन मंत्री असहमत हैं तो कम से कम यह तो अपेक्षित ही है कि आप इस बात पर कुछ विचार करें कि ये लोग प्रस्ताव से असहमत क्यों हैं?

पेड़ों की अवैध कटाई का आरोप

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने वन मंत्री और मुख्य सचिव की नियुक्ति पर पुनर्विचार करने के अनुरोध को नजरअंदाज करते हुए राहुल को राजाजी टाइगर रिजर्व का प्रभार सौंप दिया था, जिन्हें दो साल पहले कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के प्रमुख के पद से हटा दिया गया था, जब उत्तराखंड हाईकोर्ट ने वहां अवैध वृक्ष कटाई और निर्माण का संज्ञान लिया था.

जिम कॉर्बेट में 2017 से 2022 के बीच पेड़ों की कटाई और टूरिज्म स्पॉट बनाने का मामला भी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. राज्य के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व वन अधिकारी किशन चंद को अदालत ने फटकार लगाई है. कोर्ट ने इस मुद्दों को गंभीरता से लेते हुए कहा कि इस तरह के फैसलों से सार्वजनिक विश्वास को नुकसान होगा है.

उत्तराखंड सरकार की दलील

बुधवार को जब मामला सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के बाद जस्टिस पीके मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष आया तो उत्तराखंड सरकार की ओर से पेश वकील एएनएस नादकर्णी ने कहा कि अदालत के प्रति सम्मान दर्शाते हुए, ‘मुख्य वन संरक्षक राहुल को राजाजी राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रीय निदेशक नियुक्त करने का आदेश वापस ले लिया गया है.’

नादकर्णी ने सुप्रीम कोर्ट से अगली सुनवाई के दौरान विस्तृत स्पष्टीकरण देने की बात कही है. उन्होंने यह भी कहा कि सीबीआई जांच में अब तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला है. एमिकस क्यूरी ने उत्तराखंड सरकार पर आरोप लगाया है कि वह इस अधिकारी को संत बना रही है.

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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