तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक के खिलाफ जम्मू में ट्रायल चलेगा या नही इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट 20 जनवरी को सुनवाई करेगा.
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यासीन मलिक के अलावा बाकी सह-आरोपियों को जवाब दाखिल करने के लिए 2 सप्ताह का समय दे दिया है. जस्टिस अभय ओका की अध्यक्षता वाली पीठ मामले में सुनवाई कर रही है. सीबीआई ने याचिका दायर कर मुकदमें को जम्मू-कश्मीर से दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की है.
पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया था कि तिहाड़ जेल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई करने की सुविधा पहले से उपलब्ध है. एसजी ने बताया था कि तिहाड़ जेल में कोर्ट लगता है, इससे पहले भी कई मामले की सुनवाई होती रही है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि जम्मू स्पेशल कोर्ट का कहना है कि यह अनुकूल नही है कि उसे व्यक्तिगत रूप से पेश करें. हम यासीन मलिक को जम्मू-कश्मीर नही ले जाना चाहते हैं. जिसपर कोर्ट ने कहा था कि लेकिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में जिरह कैसे हो सकती है.
एसजी ने कहा था कि अगर वह व्यक्तिगत रूप से पेश होने पर अड़े हैं तो मुकदमा दिल्ली में ट्रांसफर किया जाए. एसजी ने कहा था कि यासीन मलिक सिर्फ एक आतंकवादी नही है. कोर्ट ने एसजी से बताने को कहा था कि मुकदमे में कितने गवाह है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हमारे देश में अजमल कसाब तक को निष्पक्ष सुनवाई दी गई है. जिसपर एसजी ने कहा था कि सरकार ऐसे मामलों में किताबों के अनुसार नही चल सकती है.
यासीन मलिक ने अक्सर पाकिस्तान की यात्रा की और हाफिज सईद के साथ मंच साझा किया है. कोर्ट ने कहा था कि हां, जेल में एक कोर्ट रूम बनाया जा सकता है और वहां ऐसा किया जा सकता है. एसजी ने कहा था कि गुजरात में तो जेल में भी मुकदमा चला था. जिसके बाद कोर्ट ने सीबीआई को संशोधित याचिका दायर करने की अनुमति दे दी है. साथ ही कोर्ट ने एक हफ्ते में इस केस से जुड़े सभी आरोपियों को पार्टी बनाने की अनुमति भी दे दी है.
यासीन मलिक को सुप्रीम कोर्ट लाये जाने के बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को पत्र लिखकर आपत्ति जाहिर करते हुए कहा था कि यासीन मलिक आतंकवादी और अलगाववादी पृष्टभूमि वाला यासीन मलिक जैसा व्यक्ति जो कि ना सिर्फ आतंकबादी गतिविधियों के लिए धन उपलब्ध कराने के मामले में दोषी है, बल्कि जिसके पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध है. वह भाग सकता था या उसे जबरन अगवा किया जा सकता है या फिर उसकी हत्या की जा सकती थी. उन्होंने कहा कि अगर कोई अप्रिय घटना हो जाती तो सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती.
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबैया सईद की 1989 में हुई अपहरण के मामले में जम्मू की निचली अदालत ने 20 सितंबर 2022 को पारित आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे. उसी उसी दौरान यासीन मलिक अदालत में पेश हुआ था.
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-भारत एक्सप्रेस
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