देवघर हवाई अड्डे मामले में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के झारखंड हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली झारखंड सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह के बेंच मामले में सुनवाई कर रही है.
झारखंड हाई कोर्ट ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि विमान (संशोधन) अधिनियम, 2020 के अनुसार इस मामले में जांच के लिए कोई पूर्व मंजूरी नही ली थी. मामले की सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार की ओर से दलील दी गई कि इस मामले में जांच जारी रखने के लिए संबंधित ऑथोरिटी से मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं है. जिससे संबंधित दस्तावेजो को सुप्रीम कोर्ट ने तलब किया था.
वहीं निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी की ओर से पेश वकील ने कहा कि इस तरह के मामले में जांच जारी रखने के लिए संबंधित ऑथरिटी से मंजूरी लेना पड़ता है. और इसी आधार पर झारखंड हाई कोर्ट ने यह फैसला दिया है. दोनों सांसदों पर आरोप है कि इन्होंने सितंबर 2022 में देवघर हवाई अड्डे पर सुरक्षा नियमों का उल्लंघन किया. साथ ही एटीसी को निजी विमान को उड़ान भरने की इजाजत देने के लिए धमकी दी और मजबूर किया.
झारखंड हाई कोर्ट ने एफआईआर को रद्द करते हुए कहा था कि आईपीसी अपराध लागू नहीं होते है. क्योंकि एक विशेष अधिनियम, यानी विमान अधिनियम 1934 है. वही सांसद निशिकांत दुबे ने इस एफआईआर के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस पर सुनवाई के बाद 13 मार्च 2023 को हाई कोर्ट ने निशिकांत दुबे, मनोज तिवारी, कपिल मिश्रा सहित नौ लोगों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया था.
-भारत एक्सप्रेस
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