UP Politics: राम मंदिर उद्घाटन से पहले यूपी में लगातार सियासत तेज होती जा रही है. वहीं दूसरी ओर अखिलेश यादव द्वारा मना करने के बाद भी सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार विवादित बयान देते नजर आ रहे हैं. ताजा बयान उन्होंने राम मंदिर आंदोलन के कारसेवकों को लेकर दिया है और तत्कालीन सरकार द्वारा उनके ऊपर चलाई गई गोली को सही ठहराया है. उनके इस बयान का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कासगंज में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि, “कारसेवकों पर तत्कालीन सरकार ने संविधान और कानून की रक्षा के लिए अराजक तत्वों पर देखते ही गोली मारने के आदेश दिए थे. उस समय तत्कालीन सरकार ने अपना कर्तव्य निभाया था.”
सरकार अपने फर्ज को निभा रही थी
बता दें कि, मंगलवार को बौद्ध एकता समिति की ओर से गनेशपुर में बौद्ध जन जागरूकता सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसमें मौजूद लोगों को स्वामी प्रसाद मौर्य मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. इस मौके पर उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि, जिस समय कारसेवकों पर गोली चलवाने का आदेश जारी किया गया था, उस समय तत्कालीन सरकार अपने फर्ज को निभा रही थी. वह अपने कर्तव्य का पालन कर रही थी. इसी के साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि, “जिस समय अयोध्या में राम मंदिर पर घटना घटी थी, वहां पर बिना किसी न्यायपालिका और प्रशासनिक के आदेश के बड़े पैमाने पर आराजतक तत्वों ने तोड़फोड़ कर दी थी. इस पर तत्कालीन सरकार ने संविधान और कानून की रक्षा के लिए, अमन और चैन कायम करने के लिए गोलियां चलवाई थीं.”
बता दें कि, आज से 33 साल पहले सन् 1990 में राम मंदिर आंदोलन को लेकर बड़ी संख्या में कारसेवक अयोध्या के हनुमान गढ़ी जा रहे थे, इसी दौरान उनके ऊपर ताबड़तोड़ गोलियां चला दी गई थी. जिस समय ये घटना हुई, उस समय उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार थी और यूपी के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे. खबरों के मुताबिक, अयोध्या में उन दिनों जिला प्रशासन ने कर्फ्यू लगा रखा था और राम भक्तों के प्रवेश पर बैन लगा दिया गया था. बावजूद इसके राम की भक्ति में डूबे साधु-संत अयोध्या की तरफ बढ़े चले जा रहे थे. तो दूसरी ओऱ बाबरी मस्जिद के 1.5 किलोमीटर के दायरे में पुलिस ने बैरिकेडिंग लगा दी थी और उस ओर हर किसी के जाने पर पाबंदी थी. इसी दौरान कारसेवकों की भीड़ बेकाबू हो गई और मस्जिद की ओऱ बढ़ने लगी थी और फिर 30 अक्तूबर, 1990 को पहली बार कारसेवकों पर गोलियों की बौछार कर दी गई थी. इस घटना मे पांच कारसेवकों की मौत हो गई थी.
इस गोलीकांड के बाद देश भर के रामभक्तों का आक्रोश उबल पड़ा था और गोलीकांड के दो दिन बाद ही दो नवंबर को हजारों कारसेवक हनुमान गढ़ी के पास पहुंच गए थे. इसी तरह लगातार रामभक्तों का संघर्ष जारी रहा व इस घटना के दो साल बाद यानी छह दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचा गिरा दिया गया था. हालांकि 1990 में हुए गोलीकांड के 23 साल बाद जुलाई 2013 में मुलायम सिंह ने इस घटना को लेकर एक बयान दिया था और कहा था कि, उन्हें गोली चलवाने का अफसोस है, लेकिन उनके पास अन्य कोई विकल्प मौजूद नहीं था तो वहीं अब सपा के ही नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस घटना को सही बता कर यूपी की राजनीति में खलबली मचा दी है.
बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य के हिंदू धर्म विरोधी बयानों के चलते एक बड़ा तबका सपा से नाराज है, जिसका खामियाजा अखिलेश को आने वाले लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है. इसको देखते हुए मंगलवार यानी 9 जनवरी को सपा प्रमुख अखिलेश यादव स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से नाराज नजर आए थे और मीडिया से बात करते हुए कहा था कि, ‘सब ब्राह्मण स्वामी की शिकायत किए हैं. नरेश उत्तम पटेल से बोला है कि उसको मना करो अब ऐसा कुछ ना बोलो और नेताओं को भी निर्देश दो. सोशल मीडिया पर लिखना है तो तार्किक लिखो वरना मत लिखो.’
-भारत एक्सप्रेस
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