UP Politics: लोकसभा चुनाव-2024 से पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव यूपी में अपने समीकरण दुरुस्त करने में जुटे हैं. वह लगातार हर जाति-वर्ग को रिझाने का काम कर रहे हैं. सपा ने पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) का नारा तो पहले से ही दे रखा है. अब पार्टी अगड़ों को भी जोड़ने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाने में जुट गई है. तो वहीं ब्राह्मणो को साधने के लिए सपा अब ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन कर रही है. बता दें कि लखनऊ स्थित सपा के प्रदेश मुख्यालय में कन्नौज से आए महा ब्राह्मण समाज पंचायत का सम्मेलन हुआ, जिसमें सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी शिरकत की. इस मौके पर स्वामी प्रसाद मौर्य के सनातन विरोधी बयानों का मुद्दा उठा तो अखिलेश ने इस पर अंकुश लगवाने का वादा किया. हालांकि पहले भी अखिलेश यादव जाति-धर्म को लेकर किसी भी तरह की टिप्पणी से बचने की हिदायत सपा नेताओं को दे चुके हैं.
ब्राह्मण सम्मेलन के दौरान सपा प्रबुद्ध सभा की राज्य कार्यकारिणी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने नाम लिए बगैर स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा सनातन धर्म और रामचरितमानस को लेकर की गई अपमानजनक टिप्पणी पर आपत्ति जताई. पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने इस तरह के बयानों पर रोक लगाने की मांग अखिलेश यादव से की. इस पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को आश्वासन दिया और इस तरह से विवादित बयानों पर रोक लगाने का वादा किया. अखिलेश यादव ने ब्राह्मण समाज को सम्बोधित करते हुए कहा कि इस तरह की चीजों पर अंकुश लगाया जाएगा. इसी के साथ उन्होंने सपा के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को यह नसीहत दी कि धर्म और जाति को लेकर टिप्पणी ना करें. हालांकि, अखिलेश यादव पहले भी जाति-धर्म को लेकर किसी भी तरह की टिप्पणी से बचने की हिदायत नेताओं को दे चुके हैं, लेकिन इसका कुछ खास असर दिखाई न देने के बाद अखिलेश ने एक बार फिर से सपा नेताओं को नसीहत दी है. बता दें कि, हिंदू धर्म के खिलाफ स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयानों के खिलाफ पहले भी सपा के कई ब्राह्मण नेता शिकायत कर चुके हैं. गौरतलब है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के लगातार ब्राह्मण व सनातन विरोधी बयानों को लेकर लोगों की सपा के खिलाफ नाराजगी जगजाहिर है. तो वहीं लोकसभा चुनाव भी जल्द ही होने वाले हैं. ऐसे में अखिलेश को ये बखूबी पता है कि, ब्राह्मणों की ये नाराजगी सपा को भारी पड़ सकती है. इसीलिए वह लगातार ब्राह्मणों को साधने की कोशिश में जुटे हैं. फिलहाल देखना ये है कि आने वाले समय में अखिलेश की नसीहत पर उनके नेता कितना अमल करते हैं?
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मालूम हो कि स्वामी प्रसाद मौर्य पिछले कई महीनों से श्रीरामचरितमानस को लेकर विवादित बयान देते ऐ रहे हैं. इसी के साथ ही उन्होंने ब्राह्मणों पर भी अपमानजनक टिप्पणी की थी और अगस्त महीने में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया था. एक्स पर उन्होंने लिखा था कि, “ब्राह्मणवाद की जड़ें बहुत गहरी हैं और सारी विषमता का कारण भी ब्राह्मणवाद ही है.” इसी के साथ स्वामी प्रसाद मौर्य ने ये तक कह दिया था कि, हिंदू नाम का कोई धर्म है ही नहीं. स्वामी प्रसाद ने अपने इसी पोस्ट में हिंदू धर्म को धोखा बताते हुए कहा था कि सही मायने में जो ब्राह्मण धर्म है, उसी ब्राह्मण धर्म को हिंदू धर्म कहकर के इस देश के दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों को अपने धर्म के मकड़जाल में फंसाने की एक साजिश है. तो वहीं इससे पहले श्रीरामचरितमानस को लेकर भी विवादित टिप्पणी की थी और प्रधानमंत्री के साथ ही राष्ट्रपति को पत्र लिखकर मानस से तमाम चौपाइयों को हटाने की मांग भी की थी.
-भारत एक्सप्रेस
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