आपराधिक मानहानि मामले में तमिलनाडु के स्पीकर एम अप्पावु को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के रद्द करने के फैसले को बरकरार रखा है. मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ AIADMK विधायक बाबू मुरुगावेल ने याचिका दायर की थी.
मुरुगावेल कि याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह कहने में अपमानजनक क्या है कि विधायक दल बदलने के लिए तैयार थे? सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि राजनीतिक नेताओं के एक पार्टी से दूसरे पार्टी में जाने के संबंध में आरोप को मानहानिकारक नही कहा जा सकता.
जस्टिस हृषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की पीठ ने यह आदेश दिया है. मद्रास हाईकोर्ट के 25 अक्टूबर 2023 के आदेश में दखल देने से इंकार कर दिया है, जिसमें अप्पावु के खिलाफ मानहानि के मामले को रद्द कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि हमारे पास दल-बदल रोधी कानून है, जो कि दिखाता है कि लोकतंत्र और विधायिका राजनीतिक प्रणाली में ऐसी घटनाओं को मानती है.
अप्पावु ने मद्रास हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि बाबू मुरुगावेल ने आरोप लगाया है कि याचिकाकर्ता ने पिछले साल नवंबर में यहां एक पुस्तक विमोचन समारोह में यह दावा करके अन्नाद्रमुक को बदनाम किया था कि पार्टी के 40 विधायक दिसंबर 2016 में दिवंगत नेता जे जयललिता के निधन के बाद द्रमुक में शामिल होने के लिए तैयार है.
अप्पावु ने कहा था कि मुरुगावेल ने दावा किया था कि याचिकाकर्ता ने इस भाषण के आधार पर भारतीय दंड संहिता की धारा 499 (मानहानि) और 500 के तहत अपराध किया है. यह आपराधिक मानहानि याचिका AIADMK अधिवक्ता विंग के संयुक्त सचिव बाबू मुरुगावेल द्वारा दायर किया गया था.
-भारत एक्सप्रेस
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