शेरों की सुरक्षा को लेकर किए जा रहे गुजरात सरकार के दावे की पोल खुल गई है. पिछले 5 सालों में 555 बब्बर शेरों की मौत हुई है. यह आंकड़े लोकसभा में पेश किए गए हैं. साल 2019 से लेकर 2023 तक हर साल करीबन 100 बब्बर शेरो की मौत हुई है. वहीं साल 2020 में सबसे ज्यादा 124 शेरों की मौत हुई है.
गुजरात विधानसभा में पेश हुए आंकड़े
इसी तरह के आंकड़े गुजरात विधानसभा सत्र के दौरान भी सदन में पेश किए गए हैं, जिसके मुताबिक पिछले 2 सालों में 29 बब्बर शेरों की मौत अप्राकृतिक तरीके से नहीं हुई. गुजरात विधानसभा में बताए गए आंकड़ों के मुताबिक 2 साल में 113 बब्बर शेर, 126 बाल शेर, 294 तेंदुए, 110 बाल तेंदुए मौत के भेंट चढ़े हैं. जिनमें से 21 शेर और आठ बाल शेर के अलावा 101 तेंदुए और 31 बाल तेंदुए अप्राकृतिक तरीके से मरे हैं. जबकि 92 शेर, 118 बाल शेर, 193 तेंदुए और 89 बाल तेंदुए की मौत प्राकृतिक तरीके से हुई हैं.
किस वजहों से होती है मौतें
गुजरात में अक्सर शेर और तेंदुए शिकार की तलाश में यहां वहां भटकते हुए ट्रेन की पटरी तक पहुंच जाते हैं और तेज गति से आ रही ट्रेन के नीचे कटकर उनकी मौत हो जाती है. वहीं कई बार जंगल और आसपास बने कुएं में भी गिरकर शेर और तेंदुए की मौत होती रही है. ऐसे में उनकी सुरक्षा के लिए किया जा रहे गुजरात सरकार के तमाम इंतजाम फिलहाल ना काफी दिखाई दे रहे हैं.
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ऐसे में कहा जा सकता है कि जिस रफ्तार से गुजरात में बब्बर शेर और तेंदुए की तादाद बढ़ रही है उसी रफ्तार से उनकी मौत भी हो रही है.
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