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सिटीजनशिप एक्ट की धारा-6A की वैधता बरकरार, सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ ने सुनाया फैसला

Citizenship Amendment Act Section 6A: सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ ने 4-1 के बहुमत से नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6 ए को बरकरार रखा है, जिसमें असम समझौते को मान्यता दी है. बेंच ने अन्य सदस्य जस्टिस जे बी पारदीवाला ने नागरिकता कानून की धारा 6ए को असंवैधानिक ठहराया है. 6ए के तहत 1 जनवरी 1966 और 25 मार्च 1971 के बीच असम में प्रवेश करने वाले अप्रवासियों को नागरिकता प्रदान की गई है. संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि 6ए उन लोगों को नागरिकता प्रदान करता है जो जुलाई 1949 के बाद प्रवासित हुए, लेकिन नागरिकता के लिए आवेदन नहीं किया.

5 जजों की पीठ नें सुनाया फैसला

बांग्लादेश से असम में प्रवासियों के प्रवेश के खिलाफ छह साल तक चले आंदोलन के बाद केंद्र की राजीव गांधी सरकार और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के बीच असम समझौते पर हस्ताक्षर के बाद 1985 में इस धारा को कानून में जोड़ा गया था. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने यह फैसला दिया है. सीजेआई के अलावे जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एम एम सुंदरेश, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं. इसको लेकर कुल 17 याचिकाएं दाखिल की गई थीं. धारा 6 ए को असम समझौते के तहत संविधान के नागरिकता अधिनियम में शामिल लोगों की नागरिकता से निपटने के लिए एक विशेष प्रावधान के रूप में शामिल किया गया था.

कपिल सिब्बल ने दावा किया, असम म्यांमार का हिस्सा

मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल कर बताया था कि भारत में रह रहे अवैध प्रवासियों का सटीक डेटा इकठ्ठा करना संभव नहीं है. ये लोग बिना डॉक्यूमेंट्स के भारत में चोरी छिपे घुसते है. केंद्र सरकार ने यह भी कहा था कि पड़ोसी देश के असहयोग के कारण भारत-बंग्लादेश सीमा पर बाड़ लगाने में परेशानी का सामना करना पड़ा. वहीं कपिल सिब्बल ने दावा किया था कि असम म्यांमार का हिस्सा है. पीठ ने सवाल किया था कि पश्चिम बंगाल में भी अवैध प्रवासी है. बंगाल को बाहर रखने का क्या कारण है? पीठ ने कहा कि हम यह नही कह रहे हैं कि उन्हें भी प्रोटेक्ट किया जाना चाहिए. लेकिन, आपने राज्य क्यों छोड़ा? यह अवैध पलायन किस हद तक है और पश्चिम बंगाल सरकार क्या कर रही हैं.

नागरिकता के लिए कराना होगा पंजीकरण

फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के आदेशों के तहत 1966 से 1971 में असम में 32281 विदेशियों की पहचान की गई. केंद्र ने कहा कि अवैध प्रवासियों का पता लगाना, हिरासत में लेना और उन्हें वापस भेजना काफी मुश्किल है. इस धारा को असम समझौते को आगे बढ़ाने के लिए अपना पंजीकरण कराना होगा. 1985 में एक संशोधन के माध्यम से इसे शामिल किया गया था. नागरिकता अधिनियम की धारा 6 ए विशेष प्रावधान के तहत शामिल की गई थी. ताकि असम समझौते के तहत आने वाले लोगों की नागरिकता से संबंधित मामलों से निपटा जा सके. कानून के इस प्रावधान में कहा गया है कि जो लोग एक जनवरी 1966 को या इसके बाद और 25 मार्च 1971 से पहले बांग्लादेश सहित उल्लेखित इलाको से असम आये हैं उन्हें साल 1985 में संशोधित नागरिकता कानून के तहत नागरिकता के लिए धारा 18 के तहत अपना पंजीकरण कराना होगा.

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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