UP News: वाराणसी के दशाश्वमेध स्थित चितरंजन पार्क में गुरुवार को बुलडोजर गरजा तो इस पर सड़क से लेकर सदन में भी हंगामा हुआ. यहां पार्क के आस-पास गुमटी, ठेला लगाने वालों को हटाने के लिए नगर निगम व बीडीए (बनारस विकास प्राधिकरण) ने संयुक्त रूप से कार्रवाई की और भारी पुलिस बल की मौजूदगी के बीच कई स्थाई और अस्थाई निर्माण ध्वस्त कर दिए.
इस मामले को लेकर सिंधी समाज ने विरोध जताया है और कहा है कि वर्षों से यहां पर गुमटी लगाकर अपने परिवार की आजीविका चला रहे हैं. कोर्ट से स्थगनादेश भी पारित हो गया. बावजूद इसके अफसर अपनी मनमानी कर हमारी रोजी-रोटी छीन रहे हैं. यहां के व्यापारियों की मांग है कि पार्क के पास की दुकानों को तब तक न तोड़ा जाए, जब तक उनको दशाश्वमेध प्लाजा में दुकाने आवंटित नहीं हो जाती, लेकिन अफसरों की मनमानी ने उनके पेट पर लात मारने का काम किया है. उनकी जमी-जमाई दुकान को तोड़ा जा रहा है. बता दें कि तनाव को देखते हुए यहां पीएसी भी तैनात की गई थी.
वहीं इस पूरे मामले में वाराणसी स्नातक क्षेत्र से सपा के एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने विधान परिषद में दशाश्वमेध पर चल रही नगर निगम और बीडीए की कार्रवाई का मुद्दा उठाया और कहा कि आज हम लोग सदन में बैठे हैं और जो 1947 में सिंधी समाज के लोग जो माइग्रेट होकर आए थे, उस वक्त उनको जमीने और दुकाने चितरंजन पार्क में आवंटित की गई थीं, उन्हें तोड़ा जा रहा है. महिलाओं को मारापीटा जा रहा है. इस पर सभापति ने कहा कि उन्होंने इस मामले में कोई लिखित सूचना दी है.
इसके साथ ही आशुतोष सिन्हा ने ये भी कहा कि न्यायालय के आदेश की अवमानना भी हो रही है. इस पर सभापति ने कहा कि ये सदन नियमों से चलेगा. आप फिर हाईकोर्ट ले आए. इस समय हाईकोर्ट की चर्चा मत करिए. इस पर आशुतोष ने कहा कि हाईकोर्ट ने कहा है कि जब तक उनको अन्य जगह पर दुकाने आवंटित नहीं हो जाती है, तब तक वो जहां हैं वहीं रहें. इस पर सभापति ने कहा कि आप बैठ जाइए, लेकिन इसके बाद भारी हंगामे के साथ आशुतोष सिन्हा और उनके समर्थकों ने सदन का बहिष्कार कर दिया. इस तरह से सदन में आशुतोष और सभापति के बीच तीखी नोकझोक भी हो गई.
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इस मामले में नगर निगम के अधिकारी ने बताया कि यह 30-40 पुराना कब्जा था. सभी को नोटिस दी गई थी. इनको अन्य स्थान पर दुकाने आवंटित कर दी गई हैं और सभी को वहां पर शिफ्ट होने के लिए कहा गया था, लेकिन ये नहीं जा रहे हैं. आज भी वार्ता की गई. जबकि उनको पर्याप्त समय दिया गया, लेकिन जाने को तैयार नहीं है. करीब 40-50 दुकाने हैं और सभी पर कार्रवाई की जा रही है. सभी दुकाने बीडीए की दुकाने हैं, जिन पर कार्रवाई की जा रही है और जिन लोगों की दुकाने तोड़ी गई हैं, उनको अन्य स्थान पर भी दुकाने दी जाएंगी.
-भारत एक्सप्रेस
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