Ayodhya: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों चर्चा में हैं. दिव्य दरबार लगाने से लेकर अपने बयानों को लेकर वह लगातार चर्चा में बने हुए हैं. वहीं अब धर्मनगरी अयोध्या में भी उनके खिलाफ कुछ संतों व महंतों ने उनके दिव्य दरबार को लेकर अपना विरोध दर्ज कराया है. हालांकि ऐसे बहुत से संत हैं जो उनके साथ खड़े हैं. वहीं सहस्त्रबाहु पर ताजा बयान देकर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री चौतरफा घिर गए हैं. मध्य प्रदेश में उनके खिलाफ पोस्टर भी लगाए गए हैं.
पंडित धीरेंद्र शास्त्री के दिव्य दरबार का विरोध करते हुए तपस्वी छावनी के परमहंस आचार्य ने कहा कि धीरेंद्र शास्त्री रामकथा कहें अच्छी बात है, सनातन धर्म का प्रचार करें अच्छी बात है, लेकिन लोगों को गुमराह ना करें चमत्कार के नाम पर. उन्होंने कहा कि अगर वह चमत्कार जानते हैं तो जमीन से सोना और चांदी निकाल करके दिखाएं और लोगों में बांटें.
उन्होंने कहा कि धीरेंद्र शास्त्री खुद बताते थे कि वह बिस्कुट खाकर अपना दिन बिताते थे. मैंने हमेशा उनका समर्थन किया, लेकिन वह जो कह रहे हैं कि बागेश्वर धाम आएं तो आपका भला होगा, तो फिर अन्य जगहों पर जो हनुमान जी के मंदिर हैं, उनका क्या होगा. जबकि सब जगह के भगवान एक ही हैं. परमहंस आचार्य ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि अपने घर के पास के मंदिर में ही जाएं और पूजा-पाठ करें, लेकिन कर्म जरूर करें. अगर पढ़ेंगे नहीं तो पास नहीं होंगे और अगर व्यापार नहीं करेंगे तो रोजी रोटी कैसे चलाएंगे. उन्होंने ये भी कहा कि शास्त्रों में लिखा है कि कर्म करने पर ही फल की इच्छा रखनी चाहिए.
हनुमानगढ़ी के जाने-माने महंत राजू दास ने चमत्कार को लेकर पंडित धीरेंद्र शास्त्री का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि लोगों को एक बाबा से इतनी तकलीफ क्यों है. जिस तरह से धीरेंद्र शास्त्री कथा के माध्यम से हिन्दुओं को जागरूक करते है, तो बिहार और उत्तर प्रदेश के नेताओं को तकलीफ क्यों हो रही है.
भोपाल में बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ अलग-अलग इलाकों में पोस्टर लगे हैं और उनसे मांफी मांगने की मांग की गई है. सहस्त्रबाहु कलचुरि महासभा का कहना है कि धीरेंद्र शास्त्री ने अपने बयान पर सिर्फ खेद जताया है. अभी तक माफी नहीं मांगी है.
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने हाल ही में कहा था कि सहस्त्रबाहु के लिए भगवान परशुराम ने फरसा उठाया था. हैहयवंश का राजा बड़ा ही कुकर्मी, साधुओं पर अत्याचार करने वाला और स्त्रियों से दुष्कर्म करने वाला था. ऐसे अत्याचारी क्षत्रिय राजाओं के खिलाफ ही भगवान परशुराम ने फरसा उठाया था. उन्होंने कहा था कि शास्त्रों में कहा गया है कि साधु का काम ही दुष्टों को ठिकाने लगाते रहना है. इस वजह से उन्होंने हैहयवंश के राजाओं को मारना प्रारंभ किया था.
-भारत एक्सप्रेस
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