UP Rajya Sabha Election: उत्तर प्रदेश में आज 10 सीटों के लिए राज्यसभा चुनाव हुआ और सपा खेमे के 9 विधायको ने क्रॉस वोटिंग करके अखिलेश यादव के प्लान-3 यानी तीन प्रत्याशियों को राज्यसभा में ले जाने की योजना पर पानी फेर दिया. क्रॉस वोटिंग की वजह से सपा के अब 2 ही प्रत्याशी राज्यसभा पहुंच पाएंगे. तो वहीं क्रॉस वोटिंग को लेकर यूपी के सियासी गलियारों में चर्चा जोरों पर हो रही है. बता दें कि सपा से विद्रोह करके भाजपा के पक्ष में वोट डालने वाले सपा विधायकों ने कहा कि उन्होंने अंतरात्मा की आवाज पर वोट दिया है तो वहीं अखिलेश यादव ने अपने बागी विधायकों को लेकर कहा है कि, जो लाभ लेने वाले हैं, वो चले जाएंगे. पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) को लेकर विधायकों की यह एक परीक्षा थी. अब सब कुछ साफ हो गया है.
मीडिया सूत्रों के मुताबिक, ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडे, चायल से पूजा पाल, कालपी से विनोद चतुर्वेदी, गोसाईगंज से अभय सिंह,गौरीगंज से राकेश सिंह, बिसौली से आशुतोष मौर्य, जलालपुर से राकेश पांडे और अमेठी से महाराजी प्रजापति सहित 9 विधायकों द्वारा भाजपा के पक्ष में वोट देने की बात सामने आ रही है. तो वहीं ऊपर दिए गए नाम वाले विधायक अखिलेश यादव के डिनर पार्टी में भी नहीं पहुंचे थे. इसी के बाद से अखिलेश यादव ने अपनी आशंका जाहिर कर दी थी और सुबह चुनाव शुरू होने से पहले ही बता दिया था कि सपा के कौन-कौन से विधायक क्रॉस वोटिंग करेंगे. अगर सपा सूत्रों की मानें तो 3 दिन पहले से ही इन विधायकों ने सपा हाईकमान से सम्पर्क तोड़ दिया था. तो अब सवाल ये उठता है कि आखिर इन विधायकों की अंतरात्मा क्यों जागी? इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा है और लोग कह रहे हैं कि इन पर कोई न कोई दबाव जरूर है.
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1- अभय सिंह अयोध्या जिले के गोसाईगंज के विधायक हैं. उन्होंने कहा कि, वह अपनी अंतरात्मा की आवाज पर राज्यसभा चुनाव में वोटिंग की है. बता दें कि अभय की गिनती यूपी के बाहुबली नेताओं में होती है और उनको कभी बाहुबली मुख्तार अंसारी के करीबियों में से एक माना जाता था. अभय पहली बार 2012 में गोसाईगंज सीट से विधायक चुने गए थे, लेकिन 2017 में भाजपा के खब्बू तिवारी ने उनको हरा दिया था, लेकिन 2022 में वह फिर से यहां की सीट हासिल करने में कामयाब रहे और जीत हासिल की. अगर चुनावी हलफनामा उनका देखा जाए तो इसके मुताबिक अभय सिंह पर कुल 9 एफआईआर दर्ज हैं. हत्या, हत्या के प्रयास, गैंगस्टर और आर्म्स एक्ट जैसे गंभीर आरोपों में केस दर्ज है. यह मुकदमा लखनऊ, अयोध्या और वाराणसी के अलग-अलग थानों में दर्ज हैं. सभी मामलों की सुनवाई अभी निचली अदालत में चल रही है.
2- अंबेडकरनगर के जलालपुर से विधायक राकेश पांडे को लेकर चर्चा है कि उनके बेटे रितेश पांडे के राजनीतिक करियर की वजह से ही उन्होंने क्रॉस वोटिंग का निर्णय लिया. तो दूसरी ओर अगर उनका चुनावी हलफनामा देखा जाए तो राकेश पर लखनऊ के हजरतगंज थाने में एक मुकदमा दाखिल है. यह मुकदमा साजिश और अपराध छिपाने से जुड़ा हुआ है. तो वहीं अंबेडकरनगर से बसपा सांसद रितेश ने कुछ ही दिनों पहले भाजपा में शामिल हुए हैं और बेटे के राजनीतिक करियरत को देखते हुए राकेश ने भी राज्यसभा चुनाव में भाजपा का समर्थन किया है. वह सपा में शामिल होने से पहले बसपा में थे. फिलहाल राकेश चाहते थे कि सपा उनको टिकट दे लेकिन अखिलेश ने यहां लालजी वर्मा को उम्मीदवार बना दिया.
3- विधायक राकेश प्रताप सिंह की छवि भी दबंग विधायक की है. वह अमेठी के गौरीगंज से सपा विधायक हैं. पहले वह भाजपा में ही थे. 2021 में योगी सरकार का विरोध करते हुए उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी. इसके बाद 2022 विधानसभा चुनाव लड़ा और चंद्र प्रकाश मटियारी को करीब 7 हजार वोटों से चुनाव हराया. चुनावी हलफनामे के अनुसार राकेश पर 2022 के चुनाव तक 4 एफआईआर दर्ज हैं. आईपीसी की 153, 506, 353 और 143 की धाराओं में केस दर्ज है. यह मुकदमा सुल्तानपुर और अमेठी के अलग-अलग थानों में दर्ज किया गया हैं. बता दें कि राकेश का एक वीडियो 2023 में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वह गौरीगंज के नगरपालिका अध्यक्ष उम्मीदवार के पति को पीटते हुए दिखाई दे रहे थे.
4- सपा के बागी विधायकों की सूची में शामिल जालौन के कालपी से विधायक विनोद चतुर्वेदी की क्रॉस वोटिंग के पीछे स्थानीय समीकरण बताया जा रहा है. उन्होंने 2022 में सपा के चिह्न पर निषाद पार्टी के छोटे सिंह को हरा कर जीत हासिल की थी. हालांकि, जीत का मार्जिन बहुत कम था. वह सपा में आने से पहले कांग्रेस में थे.
5- पूर्व केंद्रीय मंत्री गायत्री प्रजापति की पत्नी और अमेठी सदर से सपा विधायक महाराजी प्रजापति ने राज्य सभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी. उन्होंने 2022 के चुनाव में अमेठी सदर सीट से भाजपा के संजय सिंह को चुनाव में हराया था. ये तो सभी जानते हैं कि गायत्री प्रजापति अभी जेल में बंद हैं और उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और आईपीसी के कई गंभीर धाराओं में मामले दर्ज हैं. गायत्री की जमानत याचिका हाईकोर्ट से भी खारिज हो चुकी है.
6- बदायूं के बिसौली से विधायक आशुतोष मौर्य को सपा के पूर्व नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का करीबी माना जाता है. मौर्य के क्रॉस वोटिंग की वजह बदायूं का स्थानीय समीकरण बताया जा रहा है. यहां पर स्वामी प्रसाद मौर्य खुद के लिए या फिर अपने परिवार के लिए टिकट चाह रहे थे लेकिन अखिलेश यादव ने बदायूं से कद्दावर नेता शिवपाल यादव को लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतार दिया.
7- पूजा पाल पू्र्व बसपा विधायक राजू पाल की पत्नी हैं और चायल से विधायक हैं. उनके द्वारा क्रास वोटिंग को लेकर कहा जा रहा है कि, 2023 में अतीक अहमद के एनकाउंटर के बाद वह भाजपा सरकार के नजदीक आ गई थीं और तभी से माना जा रहा था कि वह कभी भी भाजपा में शामिल हो सकती हैं. बीजेपी पूजा को कौशांबी या फूलपुर से चुनाव लड़वा सकती है. 2022 के चुनाव में पूजा ने अपना दल के नागेंद्र पटेल को हराया था. बता दें कि, पूजा के सपा छोड़ने की चर्चा 2019 से ही चल रही थी लेकिन अखिलेश 2022 के चुनाव में अखिलेश ने उन पर भरोसा जताया और टिकट दिया.
8- मनोज पांडे को लेकर कहें तो वह रायबरेली के ऊंचाहार से विधायक हैं और क्रॉस वोटिंग के लिए उन्होंने पहले सपा के मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा दिया और फिर राज्यमंत्री के साथ वोट देने के लिए पहुंचे थे. उनको अखिलेश का करीबी माना जाता है लेकिन मन बदलने का बात है तो कहा जा रहा है कि वह रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन गठबंधन के कारण ये सीट सपा ने कांग्रेस को दे दी है. 2012 में वे जब पहली बार विधायक बने, तो उन्हें कैबिनेट में शामिल किया था. उनको अखिलश का करीबी माना जाता रहा है. तो वहीं कहा जा रहा है कि वह जल्द ही भाजपा में शामिल हो सकते हैं और उनको क्रॉस वोटिंग का ईनाम भी मिलने वाला है. भाजपा उनको रायबरेली से टिकट दे सकती है.
-भारत एक्सप्रेस
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