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Varanasi: अन्नकूट पर लड्डुओं से सजा स्वर्णमयी अन्नपूर्णा मां का दरबार, 511 क्विंटल का लगाया गया 56 भोग, उमड़े श्रद्धालु

Varanasi: काशी के मंदिरों में अन्नकूट (Annakoot) महोत्सव की धूम सुबह से ही दिखाई दे रही है. यहां पर साल में एक बार खुलने वाले स्वर्णमयी अन्नपूर्णा माता (Annapurna Maa) के दरबार में 511 क्विंटल के 56 भोग लगाए गए हैं. इस मौके पर मंदिर की छटा देखते ही बन रही है. वहीं बड़ी संख्या में उमड़े भक्तों को माता का प्रसाद बांटा जा रहा है.

इस मौके पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भी अन्नकूट महोत्सव में बाबा विश्वनाथ व माता अन्नपूर्णा को स्वादिष्ट व्यंजनों का भोग लगाया गया है. सबसे खास बात ये है कि मंदिर को मिठाइयों व लड्डू से सजाया गया है, जो कि देखने में अद्भुत लग रहा है. अन्नपूर्णा मंदिर में लड्डुओं से गर्भगृह की सजावट की गई है तो वहीं अन्नकूट श्रृंगार का प्रसाद भक्तों में वितरित किया जा रहा है. वहीं श्रद्धालु अन्नकूट के लिए मेवा, मिष्ठान, फल, खीर लेकर मंदिर में पहुंच रहे हैं.

बता दें कि साल में सिर्फ एक बार दीवाली के दौरान ही काशी में स्वर्णमयी अन्नपूर्णा माता के दर्शन होते हैं. इस बार धनतेरस के दिन यानी 10 नवम्बर को माता के मंदिर के पट खुल गए थे औऱ यहां अन्नकूट प्रसाद तैयार करने के लिए 85 कारीगर जुटे रहे औऱ लगातार मां को 511 कुंटल व्यंजनों का भोग लगाने के लिए तैयारी चल रही थी. इस मौके पर सूरन के लड्डू का भी भोग माता को लगाया गया. बता दें कि दीवाली के मौके पर स्वर्णमयी माता के दरबार में पांच दिवसीय उत्सव मनाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- Varanasi: अन्नकूट प्रसाद बनाने में जुटे 85 कारीगर, 511 कुंटल के व्यंजनों से लगेगा भोग, दीवाली पर होते हैं स्वर्णमयी अन्नपूर्णा माता के दर्शन

इस खास मौके के लिए पूरे मन्दिर परिसर को रंग बिरंगे झालरों से सजाया गया है. बता दें कि अन्नकूट के मौके पर माता अन्नपूर्णा को 40 तरह की मिठाई और 16 तरह के नमकीन का भोग लगाया गया. तो वहीं इस बार मिठाई से झांकी बनाई गई है जो कि भक्तों को भावविभार कर रही है. तो वहीं भक्तों के दर्शन में कोई समस्या न हो, इसके लिए अन्नपूर्णा मंदिर प्रशासन ने खासी अच्छी व्यवस्था की है. मंदिर में अस्थाई सीढ़ियां बनाई गई हैं और मंदिर प्रवेश होते ही बाएं हाथ को सीढ़ी के माध्यम से स्वर्ण माता अन्नपूर्णा का दर्शन भक्त कर रहे हैं. मान्यता है कि मां अन्नपूर्णा और महादेव की कृपा से काशी में कोई भी भूख नहीं सोता है, इसलिए धनतेरस से लेकर अन्नकूट तक पांच दिवसीय महापर्व यहां पर प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है.

-भारत एक्सप्रेस

Archana Sharma

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