एक जुलाई से देश में देश में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो चुके हैं. भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम. हालांकि जो मामले एक जुलाई से पहले से दर्ज हैं उनकी जांच और ट्रायल पर नए कानून का कोई असर नहीं होगा. अभी कोर्ट में पुराने मामले पुराने कानून के तहत ही सुने जाएंगे लेकिन एक जुलाई से जो भी मामले दर्ज हो रहे हैं, उन्हें नए कानूनों के तहत दर्ज किया जा रहा है.
नए कानूनों में कुछ धाराएं हटा दी गई हैं तो कुछ नई धाराएं जोड़ी गई हैं. कानून में नई धाराएं शामिल होने के बाद पुलिस, वकील और अदालतों के साथ-साथ आम लोगों के कामकाज में भी काफी बदलाव आ जाएगा.
इन तीन नए आपराधिक कानून के लागू होने के बाद तमाम कानूनविद, पुलिस-प्रशासन से जुड़े अधिकारी अपनी-अपनी राय दे रहे हैं. इसी कड़ी में महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी संजीव दयाल ने कहा कि 1 जुलाई से लागू हुए तीन नए आपराधिक कानून से बड़ा बदलाव आएगा. ये स्वागत योग्य बदलाव है. ये कानून बलात्कार, छेड़छाड़ और बाल तस्करी पर चिंताओं को दर्शाते हुए महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में कमी लाएंगे.
इसके साथ ही संजीव दयाल ने आगे कहा कि जांच में वैज्ञानिक सहायता के उपयोग से दोषसिद्धि सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी. इससे अदालतों में लगने वाले समय में भी कमी आएगी. जिससे पीड़ितों को तेजी के साथ न्याय भी मिलेगा. उन्होंने कहा कि 2020 में पीसीजीटी ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की एक समिति का गठन किया था. जिसमें सतीश साहनी, एम.आर रेड्डी, दिवंगत एसएस पुरी और मैं था. समिति ने पीड़ितों को आपराधिक न्याय प्रणाली के केंद्र में लाने के लिए कई सिफारिशें कीं. इन सिफारिशों को संहिताबद्ध होते हुए देखना अब बहुत संतोषजनक है. अब इसके कार्यान्वयन की जिम्मदारी एजेंसियों और अदालतों पर निर्भर है.
तीन नए आपराधिक कानून के लागू होने पर सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर सुबोध कुमार जायसवाल ने कहा कि तीन नए कानून न्याय के प्रति जन-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ ही एक बदलाव का प्रतिनिधित्व करते हैं. इन नए कानूनों से यह सुनिश्चित होगा कि न्याय सही, समय पर और तेजी से मिले. भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली अब पीड़ित-अनुकूल और न्याय-उन्मुख है, एक व्यापक विचार-विमर्श के माध्यम से प्राप्त किया गया परिवर्तन है. इसके अतिरिक्त, ये नए कानून साइबर अपराधों के कारण उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का समाधान करेंगे.
वहीं महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी ए.एन रॉय ने इन आपराधिक कानूनों के लागू होने पर कहा, नए लागू किए गए आपराधिक कानून पहले के ब्रिटिश युग के IPC की तुलना में पीड़ित-केंद्रित हैं. भारतीय न्याय संहिता के प्रावधानों का उद्देश्य इन मामलों के तहत बढ़ी हुई सजा के साथ महिलाओं और बच्चों को समय पर न्याय प्रदान करना है. डिजिटल, इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों की समीक्षा के साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा पर अधिक ध्यान दिया गया है. कानूनी प्रावधान स्पष्ट रूप से नागरिक-अनुकूल हैं और समय पर न्याय प्रदान करने में सक्षम हैं.
लागू हुए कानूनों को लेकर पूर्व आईपीएस एम.आर रेड्डी ने कहा, संसद से पास हुए तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं. जिससे वैज्ञानिक जांच को लागू करने और मामलों के निपटारे में तेजी आएगी. इन कानूनों से एक आदर्श बदलाव आएगा. मैं कामना करता हूं कि महाराष्ट्र पुलिस नए कानूनों को तत्परता से अपनाएगी और लोगों को बेहतर सेवा प्रदान करेगी.
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