Manipur Violence: पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर पिछले 3 महीने से ज्यादा समय से हिंसा की आग में जल रहा है. चुराचांदपुर, इम्फाल पूर्व, इम्फाल पश्चिम, बिष्णुपुर, तेंगनौपाल और कांगपोकपी सहित मणिपुर के विभिन्न जिलों से हिंसा, आगजनी और तबाही की खबरें सामने आई हैं. मैतेई और कुकी की लडाई में लाखों लोगों के सिर से छत गायब हो गया है. पिछले कई महीनों से मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा पर पीएम मोदी कुछ भी कहने से लगभग पूरी तरह बचते रहे हैं. राज्य में 150 से अधिक लोग मारे गए हैं और 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं. इस बीच मणिपुर में जमीनी हकीकत का पता लगाने के लिए विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (INDIA) के 21 सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल दो दिवसीय दौरे पर गया था. जो अब लौट आया है. विपक्षी दलों के नेताओं ने वहां क्या देखा सुना जानिए:
“हम चाहते हैं कि मणिपुर में शांति बहाल हो. हमारी एकमात्र मांग है कि दोनों समुदाय सद्भाव से रहें. मणिपुर में स्थिति खौफनाक, दर्दनाक और पीड़ादायक है. संसद में पहले ही चर्चा हो चुकी है कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को मणिपुर का दौरा करना चाहिए.”
“वहां दोनों समुदाय के लोग परेशान हैं. हिंसा अभी भी जारी है…राज्यपाल ने हमसे पहल करने और समाधान निकालने को कहा. वह खुद को असहाय महसूस कर रही हैं… कल संसद में हमारी बैठक होगी जिसके बाद हम आगे की कार्रवाई तय करेंगे.”
“मणिपुर की स्थिति अभी भी खराब होती जा रही है. राहत शिविरों में लोगों को दवाइयों तक की आधारभूत सुविधा नहीं मिल रही. राहत शिविरों में सुविधाओं की तत्काल आवश्यकता है… राज्यपाल से मांग की है कि तुरंत एक सर्वदलीय बैठक मणिपुर भेजी जाए ताकि स्थिति का आकलन करके भारत सरकार को सिफारिशें दी जा सकें.”
“हमने जो कुछ भी देखा और सुना है वह हमारी उम्मीदों से परे है. उन लोगों को हुई पीड़ा को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता. अगर सरकार ने शुरू में कार्रवाई की होती तो ऐसी स्थिति से बचा जा सकता था, सरकार मूकदर्शक बनी रही और ठीक से कार्रवाई नहीं की. हमने राज्यपाल से मुलाकात कर उनसे अनुरोध किया है कि वे एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल लाने और इन समुदायों के नेताओं को बुलाकर एक साथ बैठाने के लिए सरकार से बात करें.”
“हमने राज्यपाल को अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं, वह भी चिंतित हैं और चाहती हैं कि हम केंद्र सरकार को बताएं कि हमने क्या देखा है. हम बहस के लिए कहेंगे और हम सरकार को बताना चाहते हैं कि हमने क्या देखा है और लोग भी चाहते हैं सभी दलों के नेता वहां (मणिपुर) जाएं और देखें कि क्या हो रहा है. वहां शांति वार्ता होनी चाहिए, यही एकमात्र रास्ता है.”
“वहां लोगों के साथ जो हुआ उससे हम निराश हैं. राज्यपाल से मुलाकात में हमने सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक अखिल भारतीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल यहां आये, हम पहले दिन से यही सुझाव दे रहे हैं लेकिन पीएम गायब हैं. उनके मंत्री दिल्ली में बैठकर बयान दे रहे हैं. उन्हें वहां की जमीनी हकीकत देखने के लिए मणिपुर का दौरा करना चाहिए.”
“दोनों समुदायों में असुरक्षा की भावना और विश्वास की कमी है, उन्होंने राज्य सरकार पर विश्वास की कमी व्यक्त की. उनका कहना है 3 मई के बाद से घटनाएं हुईं लेकिन राज्य सरकार ने इसे नियंत्रित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए. राज्यपाल ने कहा कि वह सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही हैं लेकिन हम जानते हैं कि राज्यपाल के पास सीमित शक्तियां हैं और राज्य को चलाने की शक्ति राज्य सरकार के हाथों में है.”
“राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों ही मणिपुर के लिए कोई बड़ा कदम नहीं उठा रही हैं. दिल्ली और देश के बाहर भी बड़ी-बड़ी बातें की जा रही हैं.लोगों के घरों में खाना और दवाइयां नहीं हैं, बच्चों के पास पढ़ने के लिए कोई सुविधा नहीं है, कॉलेज के छात्र कॉलेज नहीं जा सकते. दो समुदायों के बीच लड़ाई को खत्म करने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है. राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने अपनी आंखें बंद ली हैं.”
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