UP Politics: लोकसभा चुनाव से पहले टूटते इंडिया गठबंधन को बचाने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी आगे आए हैं और इसके बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव के तेवर नरम पड़े दिखाई दे रहे हैं. दरअसल मध्य प्रदेश में टिकट के बंटवारे को लेकर जो विवाद शुरू हुआ था, उसे राहुल गांधी ने विराम लगाना ही उचित समझा है. इसको लेकर हरदोई पहुंचे अखिलेश यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनके पास कांग्रेस के सबसे बड़े नेता का मैसेज आया है और कहा गया है कि दोनों पार्टियों के बीच सीट को लेकर जो विवाद हैं उसे बैठकर सुलझा लिया जाएगा. इसके बाद सपा प्रमुख के तेवर नरम पड़े दिखाई दे रहे हैं और उन्होंने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कांग्रेस को लेकर कुछ भी नकारात्मक बात नहीं कही.
खबर सामने आ रही है कि राहुल गांधी ने आने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए सपा से जारी विवाद को खत्म करना ही उचित समझा है और फिर अखिलेश को संदेश भेजा गया है. इसको लेकर खुद अखिलेश ने बात साफ की है कि उनको कांग्रेस पार्टी के सबसे बड़े नेता की ओर से संदेश भेजा गया है और उनसे बातचीत करने का आश्वासन भी दिया गया है. तो वहीं पत्रकारों से बात करते हुए अखिलेश ने कांग्रेस को पुरानी बात याद दिलाई है और डॉ. राम मनोहर लोहिया और मुलायम सिंह का हवाला देते हुए कहा है कि इन दोनों नेताओं ने कहा था कि अगर लगे कि कांग्रेस कमजोर है और उसे सपा की जरूरत है तो साथ देने से मना मत करना. अखिलेश यादव शनिवार को हरदोई पहुंचे थे और इस दौरान उन्होंने कांग्रेस से सपा के रिश्ते को लेकर बातचीत की. तो दूसरी ओर मध्य प्रदेश में सीट को लेकर उठे विवाद पर कांग्रेस और सपा के प्रवक्ताओं और अन्य नेताओं के बीच जो गतिरोध जारी था, वह भी शांत हो गया है. तो दूसरी ओर कांग्रेस और सपा के बीच रिश्ते ठीक हुए हैं, इसीलिए अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी के प्रवक्ता आईपी सिंह की ओर से किए गए उस विवाद ट्वीट को भी डिलीट करा दिया है जिसमें उन्होंने कथित तौर पर राहुल गांधी को लेकर अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करते हुए टिप्पणी की थी.
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तो दूसरी ओर यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय के तेवर भी नरम पड़े दिखाई दे रहे हैं क्योंकि वह भी लगातार अखिलेश यादव के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे, लेकिन ताजा बयान दिया है कि वह अखिलेश यादव की ओर से की गई टिप्पणी पर कुछ नहीं कहना चाहते हैं. बता दें कि सपा प्रमुख के चिरकुट वाले बयान पर अजय राय ने अखिलेश यादव पर निशाना साधा था और यहां तक कह दिया था कि जिसने अपने पिता का सम्मान नहीं किया वो औरों का क्या करेगा. बताया जा रहा है कि अखिलेश के साथ जारी विवाद के बीच अजय राय को दिल्ली भी तलब किया गया है.
वहीं राजनीतिक जानकारों की मानें तो लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से सपा और कांग्रेस के बीच ठन सकती है, क्योंकि अगर अखिलेश यादव ने इंडिया गठबंधन में यूपी की सीट के बंटवारे को लेकर मध्य प्रदेश में जनाधार वाले फॉर्मूले पर ही चर्चा की तो कांग्रेस अभी जो 20-25 सीट की उम्मीद लगाए बैठी है उसे तगड़ झटका लग सकता है. कहा जा रहा है कि अगर सपा प्रमुख लोकसभा चुनाव के दौरान भी अपनी बात अड़े रहे तो कांग्रेस को दो से तीन सीटों पर ही बात माननी पड़ेगी, जिससे कांग्रेस को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का जो हाल है वो किसी से छुपा नहीं है. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ रायबरेली सीट जीत कर ही संतोष करना पड़ा था. अमेठी में भाजपा की ओर से स्मृति ईरानी ने जीत हासिल की थी, जिससे राहुल गांधी को करारी हार मिली थी. तो वहीं कांग्रेस अपने भविष्य को देखते हुए जहां कील-कांटे ठीक करने में जुटी है तो वहीं उसके आगे संकट खड़ा होने की भी आशंका है.
-भारत एक्सप्रेस
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