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जब पाकिस्तान से मनमोहन सिंह से मिलने आया था उनका दोस्त, जानें अपने साथ क्या खास लेकर आया था

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और देश में आर्थिक सुधारों के जनक डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार (26 दिसंबर) को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया. न सिर्फ देश बल्कि दुनियाभर से लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं.

एक वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री के तौर पर उनकी उपलब्धियों के बीच उनकी सौम्यता, सादगी और ईमानदार भी याद की जाएगी. उनकी विरासत को अमरता प्रदान करने वाली कई कहानियों के बीच 2008 का एक मार्मिक क्षण फिर से लोगों को याद आ रहा है, जब सिंह और अपने बचपन के पाकिस्तानी दोस्त से मिले थे.

पाकिस्तान में जन्म

डॉ. सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब क्षेत्र के एक गांव गाह में हुआ था, जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है. 1947 में विभाजन के कारण उनका परिवार अपने पैतृक घर और दोस्तों को पीछे छोड़कर भारत आ गया.

2004 में जब डॉ. सिंह ने भारत के प्रधानमंत्री का पद संभाला, तो यह खबर पाकिस्तान में उनके गांव तक पहुंची. उनके पुराने सहपाठी राजा मोहम्मद अली के मन में उनसे फिर से मिलने की इच्छा जागी. विभाजन से पहले दोनों घनिष्ठ मित्र थे. वह डॉ. सिंह को उनके बचपन के उपनाम ‘मोहना’ कहकर पुकारते थे. दोनों एक ही प्राथमिक स्कूल में साथ-साथ पढ़ते थे.

दिल्ली में दोस्त से मिले


मई 2008 में दोनों दोस्तों का फिर से दिल्ली में मिलन हुआ. तत्कालीन प्रधानमंत्री सिंह ने अली की मेजबानी की. सत्तर के दशक में पहुंच चुके दोनों लोगों ने नम आंखों से यादें साझा कीं. अली अपने पैतृक गांव से मिट्टी और पानी लेकर आए थे और सिंह को गाह की एक तस्वीर भी भेंट की. उन्होंने डॉ. सिंह को एक 100 साल पुराना शॉल और उनकी पत्नी गुरशरण कौर को दो कढ़ाईदार सलवार कमीज सूट भी भेंट किए.

बदले में, भारतीय प्रधानमंत्री ने अली को एक पगड़ी, एक शॉल और टाइटन घड़ी का सेट भेंट किया. उस बैठक के दो वर्ष बाद 2010 में अली की 78 वर्ष की आयु में पाकिस्तान के चकवाल जिले में मृत्यु हो गई.

अर्थव्यवस्था को दिया नया जीवन

बता दें पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का गुरुवार को निधन हो गया. वो 92 साल के थे. उन्हें गुरुवार की शाम तबीयत बिगड़ने पर दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स में भर्ती कराया गया था. मनमोहन सिंह लगातार दो कार्यकाल के लिए 22 मई 2004 से 26 मई 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे. वह देश के पहले सिख प्रधानमंत्री थे.

नब्बे के दशक की शुरुआती में दम तोड़ती भारतीय अर्थव्यवस्था को वित्त मंत्री के रूप में डॉ सिंह ने आर्थिक सुधारों के जरिए नया जीवन दिया. डॉ सिंह के कामों ने एक ऐसी जमीन तैयार की जिस पर चलकर भारत आज दुनिया की महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है.

-भारत एक्सप्रेस

आईएएनएस

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