देश के चर्चित अधिकारियो का जब जिक्र होता है तो एक नाम जुबां पर बरबस उभरने लगता है. वह नाम है तेजतर्रार अधिकारी राजेश्वर सिंह का. राजेश्वर सिंह किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. उनका ताल्लुक उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर ज़िले से है. वह एक प्रतिष्ठित परिवार से आते हैं. राजेश्वर सिंह यूपी के सुल्तानपुर जिले के पखरौली के मूल निवासी हैं. राजेश्वर सिंह का जन्म लखनऊ में हुआ और पढ़ाई भी लखनऊ में ही पूरी हुई. लखनऊ के कॉल्विन कॉलेज से 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद उनका चयन आईआईटी धनबाद में हो गया. इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स धनबाद से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट करने के बाद राजेश्वर सिंह ने लॉ और ह्यूमन राइट्स में भी डिग्री प्राप्त की.
वे वर्ष 1996 बैच के पीपीएस अधिकारी हैं. लखनऊ में डिप्टी एसपी के रूप में तैनाती के दौरान उन्हें एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहा जाता था. स्टेट पुलिस विभाग से अपनी नौकरी शुरू करने वाले राजेश्वर सिंह अपने काम के दम पर बड़ी तेजी से सफलता की बुलंदी पर पहुंच गये. उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्हें ह्यूमन एंड टेक्नोलॉजी का एक्सपर्ट भी कहा जाता है. अपने पुलिस करियर की शुरुआत में उनके पास गोमतीनगर सीओ (अपराध) और सीओ (यातायात) के सर्किल ऑफिसर का एक साथ चार्ज मिला था. इसके लिए उनकी काफी चर्चा भी हुई. राजेश्वर सिंह के नाम 13 एनकाउंटर हैं, जिसके डर से अपराधी थर-थर कांपते थे. वह तमाम कट्टर अपराधियों को कटघरे तक पहुंचाने में सफल हुए.
राजेश्वर सिंह अफसरों के परिवार से आते है. जहां उनके पिता रणबहादुर सिंह राष्ट्रपति का वीरता पदक पाने वाले रिटायर्ड डीआईजी है, उनके बड़े भाई रामेश्वर सिंह मुख्य आयकर आयुक्त पद पर कार्यरत हैं. उनकी बड़ी बहन आभा सिंह इंडियन पोस्टल सर्विस की डायरेक्टर रह चुकी थीं. अब वह मुंबई हाईकोर्ट में वकील हैं.
उनकी बड़ी बहन मीनाक्षी सिंह आयकर आयुक्त के पद पर तैनात हैं. राजेश्वर सिंह के बड़े बहनोई योगेश प्रताप सिंह आईपीएस रह चुके है और रिटायरमेंट के बाद वह भी मुंबई हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं. छोटे बहनोई राजीव कृष्ण यूपी पुलिस में एडीजी के पद पर कार्यरत हैं. राजेश्वर की पत्नी लक्ष्मी सिंह आईपीएस अधिकारी हैं और वर्तमान में लखनऊ रेंज के आईजी के पद पर कार्यरत हैं. हाल ही में राजेश्वर की भांजी ईशा सिंह का भी आईपीएस में चयन हुआ है.
2007 में राजेश्वर सिंह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर ED में गए. ED में शामिल होने के बाद ED कैडर में ही समाहित होने की उनकी कानूनी लड़ाई के साथ कई विवाद जुड़ गए. देश के अहम घोटालों और मामलों की जांच संभालने के चलते वह पूरे देश की नजर में आए. दिल्ली मुख्यालय में रहने के दौरान उन्होंने 2जी घोटाला, जगन रेड्डी केस, कोलगेट केस, कॉमनवेल्थ गेम घोटाला, अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील केस, ओपी चौटाला जैसे हाईप्रोफाइल मामलों की जांच की थी. वर्ष 2009 में झारखंड के तत्कालीन CM समेत आठ मंत्रियों को चार हजार करोड़ के घोटाले में गिरफ्तार किया. बड़ी-बड़ी जांचों के साथ बड़े-बड़े विवाद भी उनसे जुड़े. उनके खिलाफ कई बार सुप्रीम कोर्ट में शिकायत की गई. हालांकि, उनकी बेदाग छवि के चलते उन्हें सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट भी मिलती रही.
-भारत एक्सप्रेस
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